अदालत को ब्याज दर निर्धारित करने का अधिकार: उच्चतम न्यायालय

अदालत को ब्याज दर निर्धारित करने का अधिकार: उच्चतम न्यायालय

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  • Publish Date - April 1, 2025 / 09:07 PM IST,
    Updated On - April 1, 2025 / 09:07 PM IST

नयी दिल्ली, एक अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि अदालतें ब्याज की दर निर्धारित करने और यह निर्णय लेने के लिए अधिकृत हैं कि ब्याज मुकदमा दायर करने की तारीख से, उससे पहले की अवधि से या आदेश की तारीख से देय है, जो प्रत्येक मामले के तथ्यों पर निर्भर करता है।

न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने यह टिप्पणी उस फैसले में की, जिससे राज्य सरकार को हस्तांतरित शेयरों के मूल्यांकन को लेकर आई के मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड और राजस्थान सरकार सहित निजी पक्षों के बीच 52 साल से चल रही कानूनी लड़ाई समाप्त हो गई।

पीठ ने शेयरों के मूल्यांकन से संबंधित विलंबित भुगतान पर लागू ब्याज दर को भी संशोधित किया।

कुल 32 पन्नों के फैसले को लिखते हुए न्यायमूर्ति महादेवन ने कहा, “यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि न्यायालयों के पास कानून के अनुसार तथ्यों और परिस्थितियों की समग्रता पर विचार करते हुए उचित ब्याज दर निर्धारित करने का अधिकार है।”

फैसले में कहा गया, “इसके अलावा, अदालतों के पास यह तय करने का विवेकाधिकार है कि ब्याज मुकदमा दायर करने की तारीख से, उससे पहले की अवधि से या आदेश की तारीख से देय है, जो प्रत्येक मामले के विशिष्ट तथ्यों पर निर्भर करता है।”

निजी कंपनी ने 26 अप्रैल, 2022 और दो मई, 2022 के कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्णयों और आदेशों के खिलाफ अपील दायर की थी।

भाषा अनुराग अजय

अजय