देश को सार्वजनिक नीति में वित्तीय बाजारों की भूमिका के दबदबे से बचना चाहिए : नागेश्वरन |

देश को सार्वजनिक नीति में वित्तीय बाजारों की भूमिका के दबदबे से बचना चाहिए : नागेश्वरन

देश को सार्वजनिक नीति में वित्तीय बाजारों की भूमिका के दबदबे से बचना चाहिए : नागेश्वरन

:   Modified Date:  September 2, 2024 / 05:26 PM IST, Published Date : September 2, 2024/5:26 pm IST

(तस्वीर के साथ)

मुंबई, दो सितंबर (भाषा) मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन ने सोमवार को कहा कि देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए सार्वजनिक नीति में वित्तीय बाजारों की भूमिका के दबदबे से बचना चाहिए।

साथ ही उन्होंने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं सबसे उज्ज्वल वैश्विक संभावनाओं में से एक हैं।

नागेश्वरन ने सोमवार को कहा कि भारत का शेयर बाजार पूंजीकरण सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 140 प्रतिशत है। भारतीय वित्तीय क्षेत्र की रिकॉर्ड लाभप्रदता तथा बाजार पूंजीकरण का उच्चस्तर या सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात में बाजार पूंजीकरण एक अन्य कारक उत्पन्न करता है जिसकी गहन जांच की आवश्यकता है।

सीईए ने कहा, ‘‘ जब बाजार अर्थव्यवस्था से बड़ा हो जाता है तो यह स्वाभाविक है, लेकिन जरूरी नहीं कि यह उचित हो कि बाजार के विचार तथा प्राथमिकताएं सार्वजनिक चर्चा पर हावी हो जाएं और नीतिगत चर्चा को भी प्रभावित करें। मैं ‘‘वित्तीयकरण’’ या नीति तथा व्यापक आर्थिक परिणामों पर वित्तीय बाजार के दबदबे की बात कर रहा हूं।’’

‘सीआईआई फाइनेंसिंग 3.0 शिखर सम्मेलन’ में उन्होंने कहा कि ‘‘वित्तीयकरण’’ का अर्थ वित्तीय बाजार की अपेक्षाओं के रुझान पर प्रभुत्व है और महत्वपूर्ण रूप से सार्वजनिक नीति तथा व्यापक आर्थिक परिणामों में रुचि रखना है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि ये उनके निजी विचार हैं, न कि मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में दिया गया कोई बयान।

उन्होंने कहा कि भारत उम्मीद के साथ 2047 की ओर देख रहा है, लेकिन यह ऐसी चीज है जिससे उसे बचना होगा, क्योंकि इस तरह के ‘‘वित्तीयकरण’’ के परिणाम विकसित दुनिया में सभी के सामने हैं।

नागेश्वरन ने कहा कि नीतिगत स्वायत्तता बनाए रखना और अर्थव्यवस्था को वैश्विक पूंजी प्रवाह की अनिश्चितताओं से बचाना महत्वपूर्ण है। भारत मामूली चालू खाते के घाटे (कैड) के बावजूद वैश्विक पूंजी प्रवाह पर निर्भर है।

उन्होंने कहा, ‘‘ भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं विश्व में सबसे उज्ज्वल हैं। इसे बनाए रखना हम पर निर्भर है। साथ ही यह भी हम पर निर्भर है कि हम इसका इस्तेमाल अपने लिए नीतिगत स्थान बनाने के लिए करें।’’

उन्होंने कहा कि संक्षेप में कहूं तो देश को राष्ट्रीय अनिवार्यताओं तथा निवेशकों के हितों या प्राथमिकताओं के बीच एक अच्छा संतुलन बनाना होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘ बेशक इसका मतलब किसी का एजेंडा लेने के बजाय खुद वैश्विक एजेंडा बनाने वाले से है। यह एक अच्छी बात होगी। हालांकि, कुछ काम अभी शुरू किए जा सकते हैं, जैसे कि एक भारतीय संस्था साख तय करने वाली एजेंसी बनने का प्रयास कर रही है, लेकिन इसके परिणाम आने में बहुत लंबा समय लगेगा।’’

कार्यक्रम में कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार के विकास की आवश्यकता पर जोर देते हुए एसबीआई के चेयरपर्सन सी.एस. शेट्टी ने कहा कि बीमा कंपनियों, म्यूचुअल फंड और पेंशन कोष जैसे गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों के लिए कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में हिस्सा लेना आवश्यक है, ताकि बाजार में अधिक पूंजी लाने में मदद मिल सके।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) आशीष कुमार चौहान ने कहा कि नई तथा तेजी से विकसित होती प्रौद्योगिकियों को अपनाना महत्वपूर्ण है, जो कम पूंजी के साथ बहुत अधिक मूल्य जोड़ती हैं और भारत में पूंजी बाजार की वृद्धि में प्रमुख भूमिका निभाएंगी।

भाषा निहारिका अजय

अजय

 

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