बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 428 परियोजनाओं की लागत 4.98 लाख करोड़ रुपये बढ़ी |

बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 428 परियोजनाओं की लागत 4.98 लाख करोड़ रुपये बढ़ी

बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 428 परियोजनाओं की लागत 4.98 लाख करोड़ रुपये बढ़ी

Edited By :  
Modified Date: November 29, 2022 / 07:46 PM IST
,
Published Date: June 19, 2022 10:18 am IST

नयी दिल्ली, 19 जून (भाषा) बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक के खर्च वाली 428 परियोजनाओं की लागत में तय अनुमान से 4.98 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। देरी और अन्य कारणों की वजह से इन परियोजनाओं की लागत बढ़ी है।

सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपये या इससे अधिक की लागत वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की निगरानी करता है।

मंत्रालय की अप्रैल-2022 की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की 1,559 परियोजनाओं में से 428 की लागत बढ़ी है, जबकि 647 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘इन 1,559 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 21,73,907.11 करोड़ रुपये थी, जिसके बढ़कर 26,72,201.26 करोड़ रुपये पर पहुंचने का अनुमान है। इससे पता चलता है कि इन परियोजनाओं की लागत 22.92 प्रतिशत या 4,98,294.15 करोड़ रुपये बढ़ी है।’’

रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल-2022 तक इन परियोजनाओं पर 13,50,610.98 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, जो कुल अनुमानित लागत का 50.54 प्रतिशत है। हालांकि, मंत्रालय का कहना है कि यदि परियोजनाओं के पूरा होने की हालिया समयसीमा के हिसाब से देखें, तो देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या कम होकर 525 पर आ जाएगी।

रिपोर्ट में 619 परियोजनाओं के चालू होने के साल के बारे में जानकारी नहीं दी गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि देरी से चल रही 647 परियोजनाओं में से 103 परियोजनाएं एक महीने से 12 महीने, 111 परियोजनाएं 13 से 24 महीने की, 314 परियोजनाएं 25 से 60 महीने की और 119 परियोजनाएं 61 महीने या अधिक की देरी में चल रही हैं।

इन 647 परियोजनाओं की देरी का औसत 42.83 महीने है।

इन परियोजनाओं में देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण और वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी और बुनियादी संरचना की कमी प्रमुख है। इनके अलावा परियोजना का वित्तपोषण, विस्तृत अभियांत्रिकी को मूर्त रूप दिये जाने में विलंब, परियोजना की संभावनाओं में बदलाव, निविदा प्रक्रिया में देरी, ठेके देने व उपकरण मंगाने में देरी, कानूनी व अन्य दिक्कतें, अप्रत्याशित भू-परिवर्तन आदि की वजह से भी इन परियोजनाओं में विलंब हुआ है।

भाषा अजय

अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)