कॉर्टेवा ने 2030 तक 20 लाख महिला किसानों को सहायता देने की पहल शुरू की |

कॉर्टेवा ने 2030 तक 20 लाख महिला किसानों को सहायता देने की पहल शुरू की

कॉर्टेवा ने 2030 तक 20 लाख महिला किसानों को सहायता देने की पहल शुरू की

:   Modified Date:  September 24, 2024 / 06:19 PM IST, Published Date : September 24, 2024/6:19 pm IST

नयी दिल्ली, 24 सितंबर (भाषा) वैश्विक कृषि कंपनी कॉर्टेवा एग्रीसाइंस ने मंगलवार को एक कार्यक्रम का अनावरण किया जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक भारत की कृषि-मूल्य श्रृंखला में 20 लाख महिला किसानों को सशक्त बनाना है।

इस पहल का उद्देश्य लक्षित सहायता और संसाधनों के माध्यम से किसानों, शोधकर्ताओं और उद्यमियों के रूप में महिलाओं की भूमिका को बढ़ावा देना है।

कॉर्टेवा एग्रीसाइंस साउथ एशिया के अध्यक्ष सुब्रतो गीड ने कृषि में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए कहा, ‘‘महिलाएं ग्रामीण जीवन और कृषि की रीढ़ हैं। हमें उम्मीद है कि इसपर ध्यान भारत के विकसित राष्ट्र बनने के मार्ग को गति देगा।’’

कार्यक्रम के प्रमुख घटकों में केवल महिला किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और सहकारी समितियों के माध्यम से जलवायु-स्मार्ट व्यवहार को बढ़ावा देना; महिला एसटीईएम छात्रों के लिए क्षमता निर्माण और सलाह; और महिला किसानों के लिए स्वास्थ्य, कल्याण और वित्तीय साक्षरता को प्राथमिकता देना शामिल है।

पेशकश के बाद एक गोलमेज चर्चा में, केंद्रीय कृषि मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव सुभा ठाकुर ने महिला किसानों को मुख्यधारा में लाने के लिए सार्वजनिक-निजी सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया।

ठाकुर ने कहा, ‘‘14 करोड़ किसानों में से आधे से अधिक महिलाएं हैं। हालांकि, उनके योगदान को मान्यता नहीं दी जाती है।’’

उत्तर प्रदेश सरकार में विशेष सचिव हीरा लाल ने महिला किसानों की दुर्दशा को सुधारने के लिए नीचे से ऊपर की ओर दृष्टिकोण की वकालत की।

इस बीच, आईसीएआर-केंद्रीय कृषि महिला संस्थान के अरुण कुमार पांडा ने नीति निर्माण में लैंगिक आंकड़ों की आवश्यकता पर जोर दिया।

एग-हब फाउंडेशन की प्रबंध निदेशक कल्पना शास्त्री रेगुलागेड्डा, अर्थूड के कार्यकारी निदेशक अविनाश कुमार, घर आई नन्ही परी की संस्थापक और प्रबंध निदेशक ईभा सिंह और उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता अरुणांश बी गोस्वामी ने भी चर्चा में भाग लिया।

चूंकि भारत कृषि स्थिरता और लैंगिक समानता के लिए प्रयासरत है, इसलिए कॉर्टेवा के कार्यक्रम जैसी पहल देशभर में महिला किसानों के लिए परिदृश्य को नया आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)