Cooking Oil Price: नई दिल्ली। विदेशों में खाद्य तेलों के दाम में तेजी के बावजूद देश में खरीफ तिलहन फसलों की बढ़ती आवक के कारण थोक बाजार में मंगलवार को अधिकांश तेल-तिलहनों के दाम में गिरावट रही। ऊंचे दाम पर कम कारोबार के बीच मूंगफली तेल-तिलहन पूर्वस्तर पर बंद हुए। जिन तेल-तिलहन के भाव में गिरावट आई, उसमें सरसों एवं सोयाबीन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल शामिल हैं। इधर मलेशिया और शिकॉगो एक्सचेंज में गिरावट आने के बाद फिलहाल तेजी का रुख बना हुआ है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि, विदेशों में खद्यतेलों कीमतों में गिरावट के साथ साथ देश में खरीफ तिलहन फसलों की आवक भी बढ़ रही है। यह विदेशों में दाम टूटने का मुख्य कारण है। सूत्रों ने कहा कि कच्चा पामतेल (सीपीओ) का दाम सोयाबीन से ऊंचा हो चला है और इसे देखते हुए इस सीपीओ का आयात भी कम रहने की आशंका है। उन्होंने कहा कि जब तक सीपीओ का आयात नहीं बढ़ेगा, खाद्यतेलों के मामले में दिक्कतें बरकरार रहेंगी।
पिछले कुछ महीनों में सूरजमुखी तेल का दाम सोयाबीन से 50 से 100 डॉलर प्रति टन नीचे था और उत्तर भारत में इस सूरजमुखी तेल की विशेष खपत नहीं होती। देश के दक्षिणी हिस्से में इस तेल की अधिक मांग होती है। सूरजमुखी तेल तभी खपता है जब इसका दाम सोयाबीन तेल से कम हो। लेकिन मौजूदा समय में सोयाबीन से सूरजमुखी तेल का दाम 50-55 डॉलर अधिक है। इस वजह से सूरजमुखी तेल का भी आयात घटा है।
सूत्रों ने कहा कि मंडियों में सोयाबीन की आवक बढ़ गई है जो मौसम खुलने के साथ आगे और बढ़ेगी। सरकार को सोयाबीन की खरीद बढ़ाने की ओर ध्यान देना होगा। अगर सरकार देशी तेल-तिलहनों का बाजार बनाने की ओर पुरजोर पहल करे तो उसे तिलहनों की खरीद की चिंता भी नहीं करनी होगी। वैसे फिलहाल, सूरजमुखी, सोयाबीन और मूंगफली एमएसपी से नीचे दाम पर ही बिक रहे हैं। इस बारे में गंभीरता से विचार करते हुए इसे दुरुस्त करना होगा।
सूत्रों ने कहा कि सरकार द्वारा आयात शुल्क बढ़ाने की पहल के कारण किसानों की सरसों फसल खप गई और इस पहल का यह फायदा भी हो रहा है कि तेल मिलें चल रही हैं और उपभोक्ताओं को भी पहले के मुकाबले वाजिब दाम पर खाद्यतेल मिल रहे हैं। तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
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