देवगिरि किले में स्थित मंदिरों में पूजा करने पर एएसआई के रोक लगाने पर विवाद |

देवगिरि किले में स्थित मंदिरों में पूजा करने पर एएसआई के रोक लगाने पर विवाद

देवगिरि किले में स्थित मंदिरों में पूजा करने पर एएसआई के रोक लगाने पर विवाद

:   Modified Date:  June 27, 2024 / 10:09 PM IST, Published Date : June 27, 2024/10:09 pm IST

छत्रपति संभाजीनगर, 27 जून (भाषा) महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर जिले में देवगिरि (दौलताबाद) किला परिसर में स्थित मंदिरों में पूजा करने पर रोक लगाने संबंधी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के आदेश की विपक्षी दल शिवसेना (यूबीटी) समेत विभिन्न वर्गों ने आलोचना की है।

आदेश के अनुसार, एएसआई द्वारा संरक्षित सदियों पुराने किले में स्थित इन मंदिरों में पूजा या कोई अन्य अनुष्ठान करना कानून का उल्लंघन होगा।

बृहस्पतिवार को सोशल मीडिया पर सामने आए चार जून के आदेश के अनुसार, किले की तलहटी में स्थित भारत माता मंदिर के पुजारी राजू कंजूणे को अनुष्ठान करने से रोक दिया गया है।

केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अधीन काम करने वाले एएसआई के अनुसार, चूंकि किला एक धार्मिक कर्मकांड निषेध स्मारक है, इसलिए इसके परिसर में स्थित किसी भी मंदिर में अनुष्ठान की अनुमति देना प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1958 का उल्लंघन होगा। दो अन्य हिंदू मंदिर – संकट विनायक गणेश मंदिर और जनार्दन स्वामी मंदिर – किले में स्थित हैं।

एएसआई के आदेश से विवाद पैदा हो गया है। महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता शिवसेना (यूबीटी) के अंबादास दानवे और मराठा आरक्षण कार्यकर्ता विनोद पाटिल ने इस कदम पर सवाल उठाए हैं।

संपर्क करने पर एएसआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “देवगिरि किले में धार्मिक कर्मकांड पर पाबंदी है और यहां पूजा करने की अनुमति नहीं है। कोई पुजारी अनुष्ठान नहीं कर सकता, लेकिन पर्यटक किले में स्वतंत्र रूप से आ सकते हैं।”

दानवे ने ‘एक्स’ पर लिखा है, भारत माता मंदिर, संकट विनायक गणेश मंदिर और जनार्दन स्वामी मंदिर में वर्षों से पूजा की जा रही है और यह पूजा किले के एएसआई के अधिकार क्षेत्र में आने से बहुत पहले से हो रही है।

उन्होंने कहा, “ऐसे में किला धार्मिक कर्मकांड निषेध स्मारक कैसे हुआ?” शिवसेना (यूबीटी) नेता ने यह भी पूछा कि क्या छत्रपति संभाजीनगर जिले के खुलताबाद में स्थित मुगल सम्राट औरंगजेब के मकबरे पर भी इसी तरह के प्रतिबंध लगाए जाएंगे।’

मराठा आरक्षण कार्यकर्ता पाटिल ने कहा, ‘भारत माता मंदिर की स्थापना स्वतंत्रता सेनानियों ने निजाम से क्षेत्र को मुक्त करने के बाद की थी और 1948 से यहां पूजा की जा रही है। कई एएसआई स्थल हैं जहां एक विशिष्ट धर्म के लिए अवकाश घोषित किया जाता है। राज्य सरकार को हस्तक्षेप करके इस मुद्दे को हल करना चाहिए।”

भाषा जोहेब रमण

रमण

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)