इस्पात विनिर्माण के लिए लौह अयस्क फाइंस का इस्तेमाल करें कंपनियां : सरकार |

इस्पात विनिर्माण के लिए लौह अयस्क फाइंस का इस्तेमाल करें कंपनियां : सरकार

इस्पात विनिर्माण के लिए लौह अयस्क फाइंस का इस्तेमाल करें कंपनियां : सरकार

Edited By :  
Modified Date: October 6, 2024 / 10:30 AM IST
,
Published Date: October 6, 2024 10:30 am IST

नयी दिल्ली, छह अक्टूबर (भाषा) इस्पात मंत्रालय ने एकीकृत इस्पात कंपनियों से इस्पात निर्माण के लिए लौह अयस्क फाइंस का इस्तेमाल करने को कहा है। इससे उपलब्ध कच्चे माल का इस्तेमाल बढ़ सकेगा।

सूत्रों के अनुसार, मंत्रालय ने यह भी सुझाव दिया है कि कंपनियां विदेशों में कोकिंग कोल खदानों का अधिग्रहण करने जैसे विकल्पों पर विचार करें। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य प्रतिस्पर्धी कीमतों पर कच्चे माल की उपलब्धता बढ़ाना है।

सूत्रों ने कहा, ‘‘उन्हें बताया गया है कि देश में लौह भंडार सीमित हैं और इसे संरक्षित करने के लिए कंपनियों को ‘बेनेफिसिएशन’ की प्रक्रिया के जरिये निचले ग्रेड के अयस्क का इस्तेमाल करना चाहिए।

लौह अयस्क और कोकिंग कोयला ब्लास्ट फर्नेस मार्ग के माध्यम से इस्पात विनिर्माण के लिए उपयोग किए जाने वाले दो प्रमुख कच्चे माल हैं। लौह अयस्क जहां प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है, कोकिंग कोयले के लिए भारत काफी हद तक आयात पर निर्भर है।

प्रमुख कंपनियां बीएफ (ब्लास्ट फर्नेस) के माध्यम से इस्पात बनाने के लिए केवल उच्च श्रेणी के अयस्क लंप्स (ढेले) का उपयोग करती हैं, जिसमें 65 प्रतिशत और उससे अधिक लौह तत्व होता है। फाइंस या चूरा निम्न श्रेणी का अयस्क है जिनमें लौह तत्व 64 प्रतिशत या उससे कम होता है।

भाषा अजय अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)