नयी दिल्ली, 30 सितंबर (भाषा) चालू वित्त वर्ष के लिए रिजर्व बैंक के मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को बरकरार रखने को लेकर भारतीय कंपनी जगत ने शुक्रवार को कहा कि कारोबार क्षेत्र को निकट से लेकर मध्यम अवधि में जिंसों के दाम में बने दबाव का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 6.7 प्रतिशत पर बनाए रखा है। रूस-यूक्रेन युद्ध से पैदा हुए वैश्विक भू-राजनीतिक हालात के बीच मुद्रास्फीति का यह स्तर बने रहने का अनुमान जताया गया है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि जुलाई-सितंबर तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 7.1 प्रतिशत रह सकती है। केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर सात प्रतिशत कर दिया है।
इस संदर्भ में उद्योग संगठनों का मानना है कि अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत अब भी मौजूदा हालात का सामना करने के लिए कहीं बेहतर स्थिति में है। आगामी त्योहारी मौसम में मांग में तेजी आने के अलावा आपूर्ति में सुधार होने और विदेशी मुद्रा एवं ऋण के सुविधाजनक स्तर से इसे मजबूती मिल रही है।
उद्योग मंडल एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि मांग में सुधार और आपूर्ति में बढ़त ऐसे जुड़वा सकारात्मक बिंदु हैं जो सात प्रतिशत की टिकाऊ वृद्धि को सुनिश्चित करेंगे।
उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष संजीव मेहता ने कहा कि भारत में त्योहारी मौसम शुरू होने से मांग को कुछ समर्थन मिलेगा। हालांकि, नए साल में प्रवेश करते समय वृद्धि की इस रफ्तार को बनाए रखना एक चुनौती होगी और बजट तैयार करते समय इसका ध्यान रखना होगा।
मेहता ने कहा, ‘‘कारोबार जगत को निकट अवधि से लेकर मध्यम अवधि के लिए जिंसों की कीमतों में व्याप्त दबाव का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।’’
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति के उच्चस्तर को देखते हुए नीतिगत ब्याज दर रेपो में एक बार फिर 0.50 प्रतिशत की वृद्धि कर दी। इसके साथ ही पिछले पांच महीनों में रेपो दर चार प्रतिशत से बढ़कर 5.90 प्रतिशत हो चुकी है।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
अजय
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