एसकेएस पावर दिवाला मामले में कर्जदाताओं की समिति को 1,950 करोड़ रुपये की राशि मिली |

एसकेएस पावर दिवाला मामले में कर्जदाताओं की समिति को 1,950 करोड़ रुपये की राशि मिली

एसकेएस पावर दिवाला मामले में कर्जदाताओं की समिति को 1,950 करोड़ रुपये की राशि मिली

:   Modified Date:  August 20, 2024 / 08:26 PM IST, Published Date : August 20, 2024/8:26 pm IST

नयी दिल्ली, 20 अगस्त (भाषा) एसकेएस पावर जेनरेशन के कर्जदाताओं को तापीय बिजली कंपनी के सफल बोलीदाता सारदा एनर्जी एंड माइनिंग से 1,950 करोड़ रुपये की अग्रिम राशि मिली है। इस बारे में राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) को मंगलवार को जानकारी दी गयी।

इसके अलावा, कर्जदाताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने एनसीएलएटी की कार्यवाही के दौरान सारदा एनर्जी से समाधान योजना को मंजूरी देते समय ‘दुर्भावनापूर्ण’ मकसद या किसी भी पक्ष के प्रति झुकाव के आरोपों को सिरे खारिज कर दिया।

उन्होंने कहा कि इस मामले में एनसीएलएटी के निर्देश के आधार पर एक उचित मूल्यांकन किया गया था। उसके आधार पर एसकेएस पावर जेनरेशन के कर्जदाताओं की समिति (सीओसी) ने निर्णय लिया गया था।

रोहतगी ने कहा, ‘‘दुर्भावना या गलत इरादे का कोई मामला नहीं है और हम किसी एक पक्ष या दूसरे से गठबंधन नहीं कर रहे हैं। हमने व्यावसायिक आधार पर निर्णय लिया है।’’

टॉरेंट पावर और सिंगापुर की वैंटेज पॉइंट एसेट मैनेजमेंट भी एसकेएस पावर जेनरेशन के अधिग्रहण की दौड़ में थी। दोनों ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण में सारदा एनर्जी की बोलियों को मंजूरी देने को लेकर एनसीएलटी के आदेश को चुनौती दी है।

राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की मुंबई पीठ ने 13 अगस्त को सारदा एनर्जी एंड माइनिंग (एसईएमएल) की बोली को मंजूरी दी थी। न्यायाधिकरण ने कर्जदाताओं की समिति द्वारा एसईएमएल की बोली के चयन के खिलाफ दायर उनकी याचिका को भी खारिज कर दिया।

टॉरेंट का दावा है कि एसकेएस पावर जनरेशन के लिए उसकी बोली सबसे ऊंची थी।

याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सारदा एनर्जी एंड माइनिंग की बोली के चयन के औचित्य को लेकर सवाल उठाये हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि समाधान योजना पर मांगे गए स्पष्टीकरण की आड़ में प्रस्ताव को बदल दिया गया।

सिंघवी ने मामले में दुर्भावनापूर्ण मकसद का आरोप लगाया और कहा कि सीओसी ने भेदभावपूर्ण तरीके से मार्जिन मनी (बैंक गारंटी) को भी 103 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 161 करोड़ रुपये करने की अनुमति दी।

सिंघवी ने कहा, ‘‘हम इस प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि इस मामले में एनसीएलएटी के पारित पिछले आदेश को गलत तरीके से लिया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह भेदभावपूर्ण है। हर किसी को मौका दें, सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति को जीतने दें…।’’

टॉरेंट पावर की सबसे ऊंची बोली के दावे पर रोहतगी ने कहा कि बोलियों का चयन कई कारकों के बाद किया गया था। सीओसी ने सभी बातों पर विचार करते हुए व्यवसायिक आधार पर बोली का चयन किया।

मामले में सुनवाई बुधवार को जारी रहेगी।

भाषा रमण अजय

अजय

 

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