नयी दिल्ली, 25 सितंबर (भाषा) अधिकतर मुख्य अर्थशास्त्रियों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के बारे में आशावादी रुख व्यक्त किया और कहा कि भारत के मजबूत प्रदर्शन से दक्षिण एशिया दुनियाभर में सबसे अच्छा कर रहा है। बुधवार को जारी एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई।
विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) ने अपने नवीनतम मुख्य अर्थशास्त्री परिदृश्य में कहा, ‘‘ मुद्रास्फीति में कमी तथा मजबूत वैश्विक वाणिज्य, सुधार के प्रति सतर्क भरोसे को बढ़ावा दे रहे हैं, लेकिन उन्नत तथा विकासशील दोनों अर्थव्यवस्थाओं में ऋण का बढ़ा हुआ स्तर चिंता का विषय बनता जा रहा है।’’
दुनियाभर के प्रमुख मुख्य अर्थशास्त्रियों के सर्वेक्षण पर आधारित इस रिपोर्ट में इस बात को रेखांकित किया गया कि ऋण स्तर तथा राजकोषीय चुनौतियां दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं पर काफी दबाव डाल रही हैं, जिससे वे भविष्य के संकट के प्रति संवेदनशील हो गई हैं।
बढ़ती हुई एक चिंता संभावित राजकोषीय तंगी भी है, जहां बढ़ती ऋण-सेवा लागत सरकारों को बुनियादी ढांचे, शिक्षा व स्वास्थ्य सेवा जैसे आवश्यक क्षेत्रों में निवेश करने से रोकती है।
डब्ल्यूईएफ ने कहा, विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में 39 प्रतिशत अर्थशास्त्रियों को अगले वर्ष चूक में वृद्धि की आशंका है।
सर्वेक्षण में पाया गया कि क्षेत्रवार करीब 90 प्रतिशत मुख्य अर्थशास्त्रियों ने 2024 तथा 2025 में अमेरिका में मध्यम या मजबूत वृद्धि की आशा व्यक्त की है, जो कड़ी मौद्रिक नीति की अवधि के बाद नरम रुख अपनाने में विश्वास को दर्शाता है।
सर्वेक्षण में शामिल 80 प्रतिशत लोग इस बात पर सहमत थे कि अमेरिका के चुनाव का परिणाम वैश्विक आर्थिक नीति को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेगा। कई लोगों ने चुनाव-संबंधी जोखिमों को आगामी वर्ष के लिए एक बड़ी चिंता बताया।
इसके विपरीत करीब तीन-चौथाई उत्तरदाताओं ने यूरोप में शेष वर्ष के लिए कमजोर वृद्धि का अनुमान लगाया।
इसी प्रकार चीन का संघर्ष जारी है। करीब 40 प्रतिशत अर्थशास्त्रियों ने 2024 और 2025 दोनों में कमजोर या बहुत कमजोर वृद्धि का अनुमान लगाया है।
हालांकि, दक्षिण एशिया सबसे अलग रहा जहां 70 प्रतिशत से अधिक अर्थशास्त्रियों ने भारत के मजबूत प्रदर्शन के आधार पर 2024 तथा 2025 में मजबूत या बहुत मजबूत वृद्धि का अनुमान लगाया है।
डब्ल्यूईएफ ने कहा, ‘‘ नवीनतम सर्वेक्षण में सबसे मजबूत परिणाम एशिया के कुछ हिस्सों से हैं। दक्षिण एशिया ने स्पष्ट रूप से सबसे अलग प्रदर्शन किसा। 10 में से सात मुख्य अर्थशास्त्रियों ने वहां 2024 और 2025 में मजबूत या बेहद मजबूत वृद्धि की उम्मीद जतायी है।’’
सर्वेक्षण के अनुसार, ‘‘ यह भारत में वर्तमान में तेजी से बढ़ रही आर्थिक गतिविधियों को दर्शाता है, जहां अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने हाल ही में इस वर्ष सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अपने अनुमान को 6.8 प्रतिशत से संशोधित कर सात प्रतिशत कर दिया है।’’
विश्व आर्थिक मंच की प्रबंध निदेशक सादिया जाहिदी ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था स्थिर हो रही है, लेकिन राजकोषीय चुनौतियां अब भी महत्वपूर्ण जोखिम उत्पन्न कर रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ इन चुनौतियों से निपटने के लिए नीति-निर्माताओं तथा हितधारकों की ओर से समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन दबावों के कारण आर्थिक सुधार प्रभावित न हो। अब व्यावहारिक समाधान का समय है, जो राजकोषीय मजबूती और दीर्घकालिक वृद्धि दोनों को मजबूत कर सकते हैं।’’
सर्वेक्षण में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि सीमित राजकोषीय गुंजाइश के कारण देश भविष्य के संकटों के लिए तैयार नहीं हैं, खासकर विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (82 प्रतिशत) में… जबकि उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (59 प्रतिशत) में ऐसा नहीं है।
इसमें आगाह किया गया, कर्ज का बढ़ता बोझ न केवल वृहद आर्थिक स्थिरता के लिए अल्पकालिक खतरा है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन, जनसांख्यिकीय बदलाव तथा सामाजिक सामंजस्य जैसी दीर्घकालिक चुनौतियों से निपटने की देशों की क्षमता को भी प्रभावित करता है।
भाषा निहारिका अजय
अजय
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