नयी दिल्ली । मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने सोमवार को कहा कि बजट 2023-24 में ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के लिए आवंटन भले ही कम किया गया है लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना और जल जीवन मिशन में बजट बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्रों में कामगारों को रोजगार मिलने की उम्मीद है। नागेश्वरन ने यहां एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए कहा कि सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों से लाभार्थियों के हाथों में पहुंचने वाला पैसा दोगुना हो गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘मनरेगा के लिए बजट में कटौती इसलिए की गई है कि पीएम आवास योजना ग्रामीण और जल जीवन मिशन के मद में आवंटन खासा बढ़ा दिया गया है। ऐसे में हमें उम्मीद है कि ग्रामीण श्रमिकों को इन योजनाओं के तहत काम मिल जाएगा।’’वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में मनरेगा योजना के लिए बजट आवंटन घटाकर 60,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है जो पिछले वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान से करीब 32 प्रतिशत कम है। इससे ग्रामीण कामगारों को रोजगार मिलने की संभावना पर असर पड़ने की आशंका जताई जाने लगी है।
इस संदर्भ में नागेश्वरन ने कहा, ‘‘अगर इन श्रमिकों को पीएम आवास योजना और जल जीवन मिशन के तहत रोजगार नहीं मिलता है तो मनरेगा के मांग-आधारित योजना होने से उसके मद में आवंटन बढ़ाकर उन्हें समायोजित किया जा सकता है।’’ मनरेगा के बजट आवंटन में कटौती के पीछे की सोच पर रोशनी डालते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि मौजूदा कीमतों पर आर्थिक वृद्धि 10.5-11 प्रतिशत रहने की संभावना से ग्रामीण क्षेत्रों के कई कामगार शहरों का रुख करेंगे जहां पर उन्हें रोजगार मिलेगा। इसी आधार पर मनरेगा के तहत रोजगार की मांग कम रहने का आकलन किया गया है और कम बजट दिया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में आवास योजना के लिए 79,590 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं जिसमें से 54,487 करोड़ रुपये ग्रामीण क्षेत्रों के लिए हैं। इसी तरह जल जीवन मिशन को 69,684 करोड़ रुपये का बजट मिला है।
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