नयी दिल्ली, 22 अगस्त (भाषा) कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने बृहस्पतिवार को राज्यों से कृषि उत्पादन अनुमानों में सुधार और आंकड़ों की सटीक जानकारी के लिए नई प्रौद्योगिकी आधारित उपायों को तेजी से अपनाने और लागू करने का आग्रह किया।
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, चतुर्वेदी ने यहां एक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कृषि आंकड़ों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच निरंतर सहयोग की जरूरत की बात कही।
नये उपायों में डिजिटल फसल सर्वेक्षण, डिजिटल सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण (डीजीसीईएस), और संशोधित ‘फसल’ (अंतरिक्ष, कृषि-मौसम विज्ञान और भूमि-आधारित अवलोकन का उपयोग करके कृषि उत्पादन का पूर्वानुमान) कार्यक्रम शामिल हैं।
डिजिटल फसल सर्वेक्षण को फसलों के जियो-टैग किए गए क्षेत्रों के साथ भूखंड-स्तरीय आंकड़ा प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है। यह फसल क्षेत्र के बारे में सटीक अनुमान देता है।
डीजीसीईएस का लक्ष्य देश भर में सभी प्रमुख फसलों के लिए वैज्ञानिक रूप से तैयार किए गए फसल कटाई प्रयोगों के आधार पर उपज का आकलन करना है।
संशोधित ‘फसल’ कार्यक्रम के तहत 10 प्रमुख फसलों के लिए सटीक फसल मानचित्र और क्षेत्र अनुमान बनाने के लिए सुदूर संवेदन (रिमोट सेंसिंग) तकनीक का लाभ उठाया जाता है।
सम्मेलन में यूपीएजी पोर्टल का भी जिक्र किया गया। इसके तहत कई स्रोतों से आकड़ों का सत्यापन किया जा सकता है, जिससे मजबूत कृषि सांख्यिकी सुनिश्चित होती है।
कृषि मंत्रालय ने कहा कि इन उपायों से सीधे खेत से लगभग वास्तविक समय पर और विश्वसनीय आंकड़ा मिलने की उम्मीद है, जिससे फसल उत्पादन का अधिक सटीक अनुमान लगाया जा सकेगा।
कृषि विभाग उपज पूर्वानुमान मॉडल विकसित करने के लिए अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान सहित विभिन्न संस्थानों के साथ सहयोग कर रहा है।
इसके अलावा, विभाग राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय द्वारा फसल-काटने के प्रयोगों की निगरानी बढ़ाने के लिए सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के साथ काम कर रहा है।
भाषा प्रेम प्रेम अनुराग रमण
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