नयी दिल्ली, 27 अप्रैल (भाषा) गैर सरकारी संगठन भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट (बीवाईएसटी) और उद्योग मंडल दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने दलितों की अगुवाई वाले लघु एवं मझोले उद्यमों को कर्ज सहायता, प्रशिक्षण और परामर्श प्रदान करने के लिए समझौता किया है। इस पहल का मकसद 5,000 दलित उद्यमियों को रोजगार सृजन करने वाला बनने में मदद करना है। बीवाईएसटी ने शनिवार को एक बयान में यह कहा।
इस साझेदारी के माध्यम से, बीवाईएसटी और दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (डीआईसीसीआई) 1000 दलित युवा उद्यमियों को परामर्श प्रदान करेंगे। इन युवाओं को उद्यमिता, ग्राहक के साथ संबंध, परियोजना की तैयारी और बिक्री से जुड़े कौशल आदि के बारे में परामर्श और जानकारी दी जाएगी।
बयान के अनुसार, ‘‘बीवाईएसटी और दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने 5,000 दलित उद्यमियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाकर रोजगार सृजन करने वाला बनने में मदद करने के लिए यहां शुक्रवार को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं। इन लक्षित उद्यमियों में से 20 प्रतिशत दलित महिलाएं होंगी। इस साझेदारी के तहत दलितों के नेतृत्व वाले लघु एवं मझोले उद्यमों (एसएमई) को ऋण सहायता, प्रशिक्षण और परामर्श प्रदान किया जाएगा।’’
यह नि:शुल्क प्रशिक्षण कार्यक्रम… ‘एंट्रेप्रेन्योर ऑनलाइन लर्निंग’… दो-तीन दिन तक चलेगा। इससे उन्हें अपने विचार को बेहतर बनाने और ठोस कारोबारी योजनाओं में बदलने में मदद मिलेगी। बीवाईएसटी और डीआईसीसीआई सुगमता से कारोबार स्थापित करने और उसके संचालन के लिए प्रति व्यक्ति औसतन चार लाख के ऋण के साथ 250 दलित युवाओं को कर्ज व्यवस्था और परामर्श सहायता भी प्रदान करेंगे।’’
भारतीय युवा शक्ति ट्रस्ट की संस्थापक एवं प्रबंध न्यासी लक्ष्मी वेंकटरमण वेंकटेशन ने कहा, “दलित समुदाय को ….उच्च वेतन वाली नौकरियों तथा व्यावसायिक अवसरों की तलाश में बाधा आती है। पूंजी, संसाधनों तक सीमित पहुंच और परामर्श समर्थन जैसी मुश्किलें बनी रहती हैं, जो उनकी सफलता में बाधा डालती हैं। यह साझेदारी, भारत में दलित उद्यमिता को सशक्त बनाने की हमारी प्रतिबद्धता को दृढ़ करती है।“
डीआईसीसीआई के संस्थापक चेयरमैन डॉ. मिलिंद कांबले ने कहा, ‘‘शेष विश्व के लिए मेक इन इंडिया के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए जरूरी है कि दलित उद्यमियों को समर्थन दिया जाये और सशक्त बनाया जाए। बीवाईएसटी के साथ यह साझेदारी सतत समावेशी विकास के लिए अनुसूचित जाति उद्यमिता की महत्वपूर्ण क्षमता का उपयोग कर आर्थिक वृद्धि को गति देगी।’’
भाषा रमण पाण्डेय
पाण्डेय
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