नयी दिल्ली, दो फरवरी (भाषा) इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लिमिटेड (आईआईएफसीएल) के प्रबंध निदेशक पी आर जयशंकर ने रविवार को कहा कि इस साल के बजट से यह स्पष्ट है कि सरकार ने देश के बुनियादी ढांचे के परिदृश्य में क्रांतिकारी बदलाव लाने की महत्वाकांक्षी यात्रा शुरू की है।
उन्होंने बजट में की गई कुछ प्रमुख घोषणाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि बजट में रेखांकित रणनीतिक निवेश और नीतिगत सुधार 2047 तक देश को विकसित करने, सतत आर्थिक वृद्धि, वैश्विक प्रतिस्पर्धा और सभी नागरिकों के लिए जीवन की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करने की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
सरकार ने विभिन्न उपायों की घोषणा की है, जिसमें परिसंपत्ति मौद्रीकरण योजना (2025-2030) भी शामिल है। इसका उद्देश्य नियामकीय और राजकोषीय सुधारों के माध्यम से नए बुनियादी ढांचे के विकास में 10 लाख करोड़ रुपये की राशि को वापस डालना है।
उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा कि बजट में भूमि अभिलेखों, शहरी नियोजन और बुनियादी ढांचे के डिजायन को आधुनिक बनाने, परियोजना निष्पादन दक्षता बढ़ाने के लिए पीएम गतिशक्ति का लाभ उठाने की योजना की भी घोषणा की गई।
उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे के लिए दीर्घकालिक पूंजी आकर्षित करने को सरकार ने सॉवरेन संपदा कोष और पेंशन कोष के लिए निवेश अवधि को पांच साल के लिए बढ़ा दिया है, जिससे भारत की महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं में निरंतर विदेशी निवेश सुनिश्चित होगा।
आर्थिक वृद्धि को गति देने में शहरों की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने शहरी केंद्रों को जीवंत वृद्धि केंद्रों में बदलने के लिए एक लाख करोड़ रुपये का ‘अर्बन चैलेंज फंड’ शुरू किया है।
उन्होंने कहा कि इस पहल से रचनात्मक पुनर्विकास को समर्थन मिलेगा, जल एवं स्वच्छता संबंधी बुनियादी ढांचे में वृद्धि होगी, तथा बैंक योग्य परियोजनाओं के 25 प्रतिशत तक का वित्तपोषण होगा, जिसमें से कम से कम 50 प्रतिशत वित्तपोषण बॉन्ड, बैंक ऋण या पीपीपी से प्राप्त होगा।
इस पहल को शुरू करने के लिए वित्त वर्ष 2025-26 के लिए प्रारंभिक 10,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
स्वच्छ ऊर्जा की ओर भारत के कदम को आगे बढ़ाने के लिए परमाणु ऊर्जा मिशन ने 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा का लक्ष्य रखा है।
भाषा अनुराग अजय
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