पूंजीगत लाभ पर कर की दर, होल्डिंग अवधि में बदलाव का बजट में प्रस्ताव |

पूंजीगत लाभ पर कर की दर, होल्डिंग अवधि में बदलाव का बजट में प्रस्ताव

पूंजीगत लाभ पर कर की दर, होल्डिंग अवधि में बदलाव का बजट में प्रस्ताव

:   Modified Date:  July 23, 2024 / 08:15 PM IST, Published Date : July 23, 2024/8:15 pm IST

नयी दिल्ली, 23 जुलाई (भाषा) सरकार ने मंगलवार को पेश 2024-25 के बजट में प्रतिभूतियों एवं अचल संपत्तियों समेत विभिन्न परिसंपत्तियों से पूंजीगत लाभ पर कर की दर और उन्हें अपने पास रखने (होल्डिंग) की अवधि को युक्तिसंगत बनाने का प्रस्ताव रखा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में वित्त वर्ष 2024-25 का बजट पेश करते हुए पूंजीगत लाभ पर कर से संबंधित बदलावों की घोषणा की।

बजट घोषणा के मुताबिक, दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर का पात्र होने के लिए सूचीबद्ध वित्तीय परिसंपत्तियों को एक साल से अधिक समय तक जबकि गैर-सूचीबद्ध वित्तीय परिसंपत्तियों एवं सभी गैर-वित्तीय परिसंपत्तियों को कम-से-कम दो साल तक अपने पास रखना होगा।

बजट में प्रस्तावित बदलावों के मुताबिक, सूचीबद्ध शेयर, इक्विटी-उन्मुख म्यूचुअल फंड और एक व्यावसायिक ट्रस्ट की इकाइयों पर अल्पकालिक पूंजीगत लाभ कर (एसटीसीजी) को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है।

इन प्रतिभूतियों पर दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर (एलटीसीजी) को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है। निवेशकों को सालाना 1.25 लाख रुपये तक के दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर कर से छूट दी जाएगी, जो वर्तमान में एक लाख रुपये है।

हालांकि, सूचीबद्ध बॉन्ड एवं डिबेंचर के मामले में दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर को 20 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा गया है। इन पर अल्पकालिक पूंजीगत लाभ कर की दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

वहीं गैर-सूचीबद्ध बॉन्ड एवं डिबेंचर के मामले में एलटीसीजी को वर्तमान में 20 प्रतिशत की एकसमान दर के मुकाबले लागू होने वाली स्लैब दरों के आधार पर लगाया जाएगा। इस मामले में भी एसटीसीजी दर अपरिवर्तित बनी हुई है।

अचल संपत्ति एवं सोने जैसी परिसंपत्तियों के मामले में एलटीसीजी को निवेश मूल्य पर मुद्रास्फीति के असर को हटाए बगैर 12.5 प्रतिशत की दर से लगाया जाने की बात कही गई है। इसकी मौजूदा दर 20 प्रतिशत है। हालांकि, एसटीसीजी दर में कोई बदलाव प्रस्तावित नहीं है।

नांगिया एंडरसन एलएलपी में कर साझेदार संदीप झुनझुनवाला ने कहा कि यह प्रस्ताव करदाताओं को खुश नहीं कर सकता है क्योंकि सरलीकरण की आड़ में यह प्रस्ताव कुछ मामलों में कर दरों को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।

एकेएम ग्लोबल में कर साझेदार अमित माहेश्वरी ने कहा कि परिसंपत्ति के प्रकार पर ध्यान न देकर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर एकसमान 12.5 प्रतिशत कर की शुरुआत निष्पक्षता को बढ़ावा देती है और कर गणना को सरल बनाती है।

माहेश्वरी ने कहा, ‘‘हालांकि अल्पकालिक लाभ पर 20 प्रतिशत कर लगना एक निराशा है, लेकिन यह दीर्घकालिक निवेश को प्रोत्साहित कर सकता है।’’

डेलॉयट इंडिया में भागीदार दिव्या बावेजा ने कहा कि सूचीबद्ध प्रतिभूतियों के लिए पूंजीगत लाभ कर दरों में वृद्धि से निवेशकों का उत्साह कम हो सकता है।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय

 

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