नयी दिल्ली, 22 जनवरी (भाषा) ब्रॉडबैंड उपकरण बनाने वाले जीएक्स समूह के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) परितोष प्रजापति ने कहा कि सरकार को स्थानीय परिवेश को बढ़ावा देने और स्वदेशी रूप से निर्मित उत्पादों में मूल्य संवर्धन को बढ़ाने के लिए दूरसंचार उपकरणों के लिए चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) शुरू करना चाहिए।
प्रजापति ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ बातचीत में कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जों को भी बढ़ावा दे ताकि दूरसंचार उपकरणों में मूल्य संवर्धन को बढ़ाया जा सके, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ दूरसंचार तथा सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) उपकरणों के वास्ते पूर्ण घरेलू परिवेश बनाने के लिए सरकार को इन उपकरणों के लिए चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) पर विचार करना चाहिए।’’
प्रजापति ने कहा, ‘‘ घरेलू विनिर्माण को विकसित करने के साथ-साथ पीएमपी यह भी सुनिश्चित करेगा कि समग्र आपूर्ति श्रृंखला में कोई बाधा न आए, जिसके परिणामस्वरूप डिजिटल बुनियादी ढांचे की सुचारू तैनाती हो सके।’’
जीएक्स समूह, दूरसंचार के उत्पादन संबंधी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के लाभार्थियों में से एक है।
देश में नवंबर में दूरसंचार उत्पादन 70,000 करोड़ रुपये को पार कर गया था। कुल उत्पादन में से 13,500 करोड़ रुपये से अधिक के उपकरण पीएलआई योजना के तहत निर्यात किए गए।
देश में मोबाइल विनिर्माण और स्थानीय मूल्य संवर्धन को बढ़ाने के लिए पीएमपी को पहले ही लागू किया जा चुका है।
पीएमपी के तहत सरकार घटकों के एक विशिष्ट समूह की पहचान करती है, जिन्हें उद्योग की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विशेष प्रोत्साहन दिया जा सकता है। साथ ही इस क्षेत्र में निवेशकों को दीर्घकालिक नीति आश्वासन भी प्रदान किया जा सकता है।
वहीं वित्त वर्ष 2025-26 के बजट से अपेक्षाओं के बारे में प्रजापति ने कहा कि सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ पर ध्यान केंद्रित करने के साथ, उन्हें उम्मीद है कि आगामी बजट में दूरसंचार, आईटी तथा डिजिटलीकरण क्षेत्र में समग्र विनिर्माण, अनुसंधान व विकास के परिवेश के निर्माण के लिए स्थिरता, प्रौद्योगिकी तथा समर्थन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘ इलेक्ट्रॉनिक घटक एक उभरता हुआ क्षेत्र है और भारत में इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। बजट में नए विनिर्माण संकुल विकसित करने, इलेक्ट्रॉनिक घटक तथा घरेलू उत्पादन के लिए अन्य प्रोत्साहनों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।’’
प्रजापति ने कहा, ‘‘ कृत्रिम मेधा (एआई) के इस युग में भारत को वैश्विक अग्रणी बनने के लिए इन उपकरणों पर समर्पित ध्यान तथा उत्पादों व प्रौद्योगिकियों के लिए अनुसंधान व विकास, दीर्घकालिक दृष्टिकोण से ध्यान देना होगा।’’
भाषा निहारिका मनीषा
मनीषा
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