बीपीसीएल ने हरित ईंधन पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने के लिए मुंबई बंदरगाह के साथ किया समझौता |

बीपीसीएल ने हरित ईंधन पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने के लिए मुंबई बंदरगाह के साथ किया समझौता

बीपीसीएल ने हरित ईंधन पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने के लिए मुंबई बंदरगाह के साथ किया समझौता

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Modified Date: October 3, 2024 / 01:15 PM IST
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Published Date: October 3, 2024 1:15 pm IST

मुंबई, तीन अक्टूबर (भाषा) सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बीपीसीएल ने बंदरगाह पर हरित ईंधन पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करने के लिए मुंबई बंदरगाह प्राधिकरण और मुंबई बंदरगाह स्थायित्व फाउंडेशन (एमपीएसएफ) के साथ एक प्रारंभिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

बीपीसीएल के बयान में कहा गया, यह समझौता ज्ञापन भारत को स्वच्छ ऊर्जा समाधानों की ओर ले जाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। हरित ईंधन नवाचारों पर ध्यान केंद्रित कर इस पहल का मकसद ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को काफी कम करना है, जो देश के जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों में योगदान देता है।

भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) ने कहा, इस पहल के तहत दोनों साझेदार संयुक्त रूप से मुंबई बंदरगाह पर ईवी चार्जिंग स्टेशन स्थापित करेंगे, जिससे बंदरगाह उपयोगकर्ताओं तथा आम जनता के लिए हरित ऊर्जा अपनाने को बढ़ावा मिलेगा।

बीपीसीएल के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक जी कृष्ण कुमार ने कहा, ‘‘ यह समझौता ज्ञापन 2040 तक स्कोप-1 और स्कोप-2 में शुद्ध शून्य उत्सर्जन हासिल करने की हमारी आकांक्षा के साथ-साथ एक टिकाऊ कल की दिशा में बीपीसीएल की योजनाओं के अनुरूप है। समुद्री क्षेत्र के लिए एलएनजी और ईवी जैसे टिकाऊ ऊर्जा समाधानों को सक्षम करना सामाजिक जिम्मेदारी को प्रदर्शित करने और हमारे द्वारा सेवा प्रदान किए जाने वाले समुदायों के साथ हमारे सतत विकास के लिए साझेदारी करने के हमारे प्रयास का हिस्सा है।’’

बीपीसीएल के अनुसार, इस सप्ताह की शुरुआत में मुंबई बंदरगाह पर केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी व जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल द्वारा क्रूज भारत मिशन की शुरुआत के दौरान समझौते को औपचारिक रूप दिया गया।

समझौते में अपशिष्ट प्रबंधन के प्रावधान भी शामिल हैं।

बीपीसीएल के व्यवसाय प्रमुख (आई एंड सी) राहुल टंडन ने कहा, ‘‘ एमबीपीए के साथ हमारी साझेदारी बीपीसीएल की टिकाऊ ईंधन व्यवसाय को आगे बढ़ाने की रणनीतिक दृष्टि का प्रमाण है। एलएनजी और हरित ऊर्जा अवसंरचना का लाभ उठाकर, हमारा लक्ष्य समुद्री परिचालन के भविष्य को नया आकार देना है…’’

भाषा निहारिका

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