पटना, 12 दिसंबर (भाषा) विकास के लिहाज से पिछड़े राज्यों में आने वाले बिहार की तस्वीर अब बदल रही है। राज्य अब अनूकूल नीतियों तथा कारोबारी सुगमता की वजह से निवेश का आकर्षक स्थल बन रहा है।
अदाणी समूह से लेकर कोका-कोला तक ने यहां अरबों डॉलर के निवेश की घोषणाएं की हैं। निवेश के लिए और भी कंपनियां यहां आने वाली हैं।
राज्य के उद्योग और पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा बिहार को एक ऐसे राज्य में बदल रहे हैं जो पूर्वी भारत में निवेशकों के लिए प्रवेश द्वार बन सकता है।
उनका कहना है, बिहार की औद्योगिक क्षमता असीमित है। बिहार धारणा का शिकार रहा है। लेकिन अब यह बदल रहा है।’’
अदाणी समूह ने राज्य में 8,700 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है जबकि अंबुजा सीमेंट्स 1,200 करोड़ रुपये की इकाई स्थापित कर रही है। कोका-कोला अपनी बोतलबंद क्षमता का विस्तार कर रही है।
मिश्रा ने कहा कि राज्य निवेशकों को ब्याज छूट से लेकर राज्य जीएसटी की वापसी, स्टाम्प शुल्क छूट, निर्यात सब्सिडी और परिवहन, बिजली तथा भूमि शुल्क के लिए रियायतें प्रदान कर रहा है।
साथ ही न केवल अनुमोदन के समय बल्कि प्रोत्साहनों के वितरण में भी एकल खिड़की व्यवस्था के तहत मंजूरी दी जा रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘किसी को सचिवालय आने की जरूरत नहीं है। किसी को सरकारी कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं है। हम जो भी वादा कर रहे हैं, उसे पूरा कर रहे हैं।’’
उद्योग मंत्री ने कहा कि राजकोषीय प्रोत्साहनों का वितरण बिना किसी दरवाजे पर दस्तक दिए हर तिमाही में होता है। साथ ही किसी भी तरह की चूक से बचने के लिए नियमित निगरानी की जाती है।
उन्होंने कहा कि बिहार राज्य भर के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित पूरी तरह से तैयार लगभग 24 लाख वर्ग फुट औद्योगिक ‘शेड’ की पेशकश कर रहा है। उसमें सभी प्रकार का बुनियादी ढांचा उपलब्ध है। यह जगह किसी भी उद्योग के लिए निर्धारित दर पर उपलब्ध है।
राज्य ने उद्योग स्थापित करने के लिए 3,000 एकड़ का भूमि बैंक भी बनाया है।
उन्होंने कहा कि कानून और व्यवस्था की समस्या का समाधान किया गया है। साथ ही कोलकाता और हल्दिया में बंदरगाहों के साथ-साथ झारखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में कच्चे माल के स्रोतों और खनिज भंडार तक पहुंचने के लिए बुनियादी ढांचे के साथ लगभग चौबीसों घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है।
मिश्रा ने कहा कि राज्य में 19-20 दिसंबर को होने वाले ‘बिजनेस कनेक्ट’ 2024 निवेशक शिखर सम्मेलन के दूसरे संस्करण में बिहार की नीतियों और उपलब्धियों का रखा जाएगा।
उल्लेखनीय है कि निवेशक सम्मेलन का पहला संस्करण काफी सफल रहा था। उसमें निवेशकों ने 35,000 करोड़ रुपये की निवेश प्रतिबद्धताएं जताई थीं।
बिहार सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण, आईटी और आईटी-संबद्ध सेवाओं (आईटीईएस), कपड़ा और चमड़ा क्षेत्रों को उच्च प्राथमिकता के रूप में रखा है। उनमें से प्रत्येक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नीतियां हैं। इसके अलावा, सरकार एथनॉल और बायोगैस जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर भी बड़ा काम कर रही है।
मिश्रा ने कहा कि बिहार में बदलाव का श्रेय केंद्र और राज्य के मिलकर काम करने को जाता है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली प्रगतिशील विचारधारा वाली केंद्र सरकार के साथ, क्षेत्रीय असंतुलन अब बीते दिनों की बात है। अब हर राज्य के पास मौका है।
मिश्रा ने कहा कि बिहार ने पिछले दो दशक में इस अवसर का लाभ उठाया है। एक राज्य जो लगातार कम वृद्धि दर के लिए जाना जाता था, अब राष्ट्रीय औसत से बेहतर वृद्धि दर हासिल कर रहा है।
राज्य ने सड़कों और राजमार्गों से लेकर गोदामों और बड़े फूड पार्क, चमड़ा प्रसंस्करण केंद्र, एकीकृत विनिर्माण संकुल और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क तक बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे का निर्माण किया है। यह अब दो विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) का निर्माण कर रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी नीति अच्छी है और सौभाग्य से बिहार में हमारा नेतृत्व इतना अच्छा रहा है कि इन 19 साल में हमने बहुत अच्छा बुनियादी ढांचा बनाया है। सही मायने में बिहार निवेशकों के लिए तैयार है।’’
बिहार की स्थिति विशिष्ट है। पूर्वी और उत्तरी भारत और नेपाल के विशाल बाजारों से निकटता के कारण बिहार को स्थान-विशेष का लाभ प्राप्त है। मूल रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले राज्य के पास एक बड़ा कृषि और पशु उत्पादन आधार है। यह कृषि आधारित यानी खाद्य प्रसंस्करण, रेशम और चाय से लेकर चमड़े और गैर-धातु खनिजों तक कई उद्योगों के लिए कच्चे माल की पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करता है।
इसके अलावा, पानी की कोई समस्या नहीं है और पर्याप्त संख्या में सस्ता श्रम उपलब्ध है।
मिश्रा ने कहा, ‘‘ये हमारी मुख्य ताकत है और आने वाले दिनों में, बिहार में भारत के पूरे पूर्वी हिस्से के लिए वृद्धि का प्रमुख इंजन बनने की क्षमता है। यह बिहार का समय है।’’
भाषा रमण अजय
अजय
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