कोलकाता, दो जून (भाषा) अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने रविवार को कहा कि बंगाल का पुनर्जागरण न केवल कला और संस्कृति से प्रेरित था, बल्कि बंगाली उद्यमिता की भावना से भी प्रेरित था।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य सान्याल बंगाल व्यापार परिषद के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा, ”चांद सौदागर जैसे कई बंगाली समुद्री व्यापार करते थे, और सेठ तथा बसाक के परिवार बड़े व्यापारी थे।”
सान्याल ने कहा कि समय के साथ कारोबारी माध्यम बदल गए, लेकिन व्यापार नहीं रुका।
उन्होंने कहा कि राजा राममोहन राय एक साहूकार थे, द्वारकानाथ टैगोर नील के व्यापार में शामिल थे और कोयला खनन में अग्रणी थे।
दक्षिणेश्वर मंदिर को वित्त पोषित करने और ईडन गार्डन बनाने के लिए भूखंड देने वाली रानी रश्मोनी एक कारोबारी महिला थीं।
उन्होंने कहा कि 1905 में बंगाल के विभाजन के दौरान कलकत्ता केमिकल्स, लक्ष्मी टी और मोहिनी मिल्स जैसी कई कंपनियां बनाई गईं।
सान्याल ने कहा कि मशहूर तैराक मिहिर सेन ने भी कपड़ों की फैक्ट्री लगाई और वह बहुत सफल रहे।
उन्होंने आगे कहा कि इसलिए बंगालियों को अपने बारे में यह धारणा बदलने की जरूरत है कि व्यापार उनके खून में नहीं है।
उन्होंने वाम मोर्चा सरकार के दौरान पश्चिम बंगाल में व्यापार नष्ट होने का आरोप लगाते हुए कहा कि बंगालियों में उद्यमशीलता को पुनर्जीवित करने के लिए नीतियां बनाने की जरूरत है।
भाषा पाण्डेय
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