नयी दिल्ली, 28 जनवरी (भाषा) किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) और सस्ते कर्ज जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ मधुमक्खी पालकों को सुलभ कराने के दृष्टिकोण से मधुमक्खी पालन उद्योग परिसंघ (सीएआई) ने सरकार से आगामी बजट में मधुमक्खी पालकों को किसान के रूप में परिभाषित करने की मांग की है।
सीएआई के अध्यक्ष देवव्रत शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र भेजकर मधुमक्खी पालकों की आय बढ़ाने संबंधी अपनी कुछ मांगों रखा है।
उन्होंने इन मांगों के बारे में पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘कृषि पारिस्थितिकी तंत्र के एक अभिन्न अंग के रूप में मधुमक्खी पालन, फसल उत्पादकता को बढ़ाने और पूरे भारत में हजारों परिवारों को स्थायी आजीविका प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कृषि उत्पादन और किसानों की आय बढ़ाने में इस क्षेत्र की अपार संभावनाओं को देखते हुए मधुमक्खी पालकों को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। इस दिशा में सबसे पहले इन मधुमक्खी पालकों को किसान के रूप में वर्गीकृत किया जाना चाहिए ताकि वे तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें।”
उन्होंने कहा कि 1998 में लागू किए गए किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की सुविधा का बाद में विस्तार किया गया और इसके दायरे में मत्स्यपालकों और मवेशीपालकों को भी लाया गया लेकिन मधुमक्खीपालक किसान इस लाभ से वंचित रहे।
देवव्रत शर्मा ने कहा कि मधुमक्खी पालन में मौसम, प्रतिकूल मौसम में प्रबंधन, बाढ़, आगजनी जैसी प्राकृतिक आपदा समेत तमाम चुनौतियां रहती हैं और नुकसान होने की स्थिति में मधुमक्खी पालनकों को किसान के रूप में वर्गीकृत नहीं किये जाने की वजह से उन्हें तमाम योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता।
शर्मा ने कहा, ‘‘मधुमक्खी पालन में शहद और मोम के अलावा कई अन्य मूल्यवर्धित उत्पादों के जरिये किसानों की आय को गुणात्मक रूप से बढ़ाया जा सकता है, जिनमें परागकण (पोलन) संग्रहण, प्रोपोलिस निकालना, रॉयल जैली निकालना, मधुमक्खी के डंक निकालना, शहद और मोम जैसे कुछ अन्य उत्पाद हैं जिनकी कीमत शहद के मुकाबले कई गुना होती है।”
उन्होंने कहा, “इन वस्तुओं को प्राप्त करने के लिए आधुनिक मशीनरी की जरूरत पड़ती है जिसे किसानों को ऊंचे ब्याज वाले कर्ज से खरीदने में मुश्किल आती है। इसलिए किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की सुविधा से मधुमक्खी पालक किसानों को तत्काल जोड़ा जाना चाहिए।”
शर्मा ने बताया कि मधुमक्खी के छत्तों और कॉलोनियों के लिए वर्तमान में कोई बीमा प्रावधान नहीं है। कॉलोनियों के लगातार बदलते रहने से मधुमक्खी पालकों को परिवहन, बाढ़, आग और अन्य अप्रत्याशित परिस्थितियों के दौरान होने वाले नुकसान सहित कई जोखिमों का सामना करना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि जिस तरह किसानों को प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल के नुकसान के लिए मुआवजा मिलता है, उसी तरह मधुमक्खी पालकों को भी ऐसे जोखिमों के खिलाफ वित्तीय सुरक्षा की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, वर्तमान में मधुमक्खी पालन उद्योग के लिए कोई चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं है। ‘हम मधुमक्खी के छत्तों और कॉलोनियों के लिए एक समर्पित बीमा योजना शुरू करने का अनुरोध करते हैं।”
भाषा राजेश
अजय अनुराग
अजय
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(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)