नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) लोकसभा में मंगलवार को पारित बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 बैंक खाताधारकों को अपने खातों में अधिकतम चार नामांकित व्यक्ति (नॉमिनी) रखने की अनुमति देता है।
इस विधेयक का एक अन्य प्रावधान निदेशक पदों के लिए ‘पर्याप्त हित’ को नए सिरे से परिभाषित करने से संबंधित है। इससे लगभग छह दशक पहले तय की गई पांच लाख रुपये की मौजूदा सीमा दो करोड़ रुपये तक बढ़ सकती है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए इस विधेयक को संसद के निचले सदन ने ध्वनि मत से मंजूरी दी।
विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि जमाकर्ताओं के पास क्रमिक या एक ही समय नामांकन सुविधा का विकल्प होगा। वहीं लॉकर सुविधा लेने वाले ग्राहकों के पास केवल क्रमिक नामांकन का ही विकल्प होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि 2014 से सरकार और आरबीआई बैंकों को स्थिर बनाए रखने के लिए बेहद सतर्क रहे हैं।
सीतारमण ने कहा, ‘हमारा उद्देश्य हमारे बैंकों को सुरक्षित, स्थिर और स्वस्थ रखना है और 10 साल बाद आप इसका परिणाम देख रहे हैं।’
विधेयक में सहकारी बैंकों में निदेशकों (चेयरमैन एवं पूर्णकालिक निदेशक को छोड़कर) के कार्यकाल को आठ साल से बढ़ाकर 10 साल करने का प्रस्ताव है। संविधान (97वां संशोधन) अधिनियम, 2011 के अनुरूप बनाने के लिए यह संशोधन किया गया है।
विधेयक पारित होने के बाद केंद्रीय सहकारी बैंक के निदेशक को राज्य सहकारी बैंक के निदेशक मंडल में नियुक्त किए जाने की मंजूरी मिल जाएगी।
बैंकिंग संशोधन विधेयक में वैधानिक लेखा परीक्षकों का पारिश्रमिक तय करने में बैंकों को अधिक स्वतंत्रता देने का भी प्रावधान किया गया है।
इसमें नियामकीय अनुपालन के लिए बैंकों को वित्तीय आंकड़ों की सूचना देने की तिथियों को बदलकर हर महीने की 15वीं और आखिरी तारीख करने की बात कही गई है। मौजूदा समय में बैंकों को हर महीने के दूसरे और चौथे शुक्रवार को यह सूचना भेजनी होती है।
भाषा प्रेम प्रेम रमण
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