विदेशी बाजार में मजबूती से से सभी तेल-तिलहन कीमतों में सुधार |

विदेशी बाजार में मजबूती से से सभी तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

विदेशी बाजार में मजबूती से से सभी तेल-तिलहन कीमतों में सुधार

:   Modified Date:  October 30, 2024 / 07:54 PM IST, Published Date : October 30, 2024/7:54 pm IST

नयी दिल्ली, 30 अक्टूबर (भाषा) बायोडीजल निर्माण में तिलहनों का इस्तेमाल बढ़ने के बाद विदेशों में दाम मजबूत होने के कारण देश के थोक तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को सभी तेल-तिलहन के दाम मजबूत बंद हुए तथा सरसों, मूंगफली एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल कीमतों में सुधार दर्ज हुआ।

मलेशिया और शिकॉगो एक्सचेंज में भारी तेजी है।

बाजार सूत्रों ने बताया कि विदेशों में बायोडीजल निर्माण के लिए सोयाबीन और पाम का इस्तेमाल बढ़ रहा है और इसके कारण वहां बाजार मजबूत होते जा रहे हैं।

सूत्रों ने कहा कि खाद्य तेलों से महंगाई बढ़ने की चिंता करने वालों को इस बारे में सोचना होगा कि इस दुष्चक्र से निकलने का कौन सा रास्ता हो सकता है? क्या यह स्थिति देश के खाद्य तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाने और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने की जरूरत को नहीं दर्शाती है?

सूत्रों ने कहा कि खाद्य तेल-तिलहन के मामले में अस्थिर नीतियों और समस्या के तात्कालिक निदान के लिए जल्दबाजी भरे कदमों के कारण देश में कई तेल-तिलहनों का उत्पादन घटता चला गया। कभी सूरजमुखी की खपत भर की पैदावार देश में होती थी लेकिन अब इस तेल के लिए लगभग 98 प्रतिशत आयात पर निर्भरता हो चली है। सरकार 80-90 के दशक में तरबूज बीज के तेल उत्पादन को बढ़ाने के लिए सब्सिडी देती थी और इससे तेल, घी निकालने के लिए उत्पाद शुल्क (एक्साइज ड्यूटी) नहीं लगता था, लेकिन आज इस तेल का उत्पादन ठप है। पहले हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश के सीतापुर, बदायूं, बंगाल, आंध्र प्रदेश में मूंगफली की अच्छी पैदावार थी जो धीरे-धीरे लुप्त होता चला गया। बिहार में सूरजमुखी खेती खत्म हो गयी। नाइगर सीड से तेल निकालने का काम घटता चला गया। महुआ आदि से तेल निकालने का काम शायद ही सुनने को मिलता है।

उन्होंने कहा कि जबतक किसानों को फसल बिकने और पर्याप्त लाभ मिलने का भरोसा नहीं होगा, तेल-तिलहन का उत्पादन नहीं बढ़ पायेगा। इसके लिए देश में एक मजबूत तेल-तिलहन नीति अपनाने की जरुरत है।

सूत्रों ने कहा कि खाद्य तेलों से महंगाई बढ़ने की चिंता जरूरत से कहीं ज्यादा भ्रामक है क्योंकि दूध के मुकाबले खाद्य तेलों की प्रति व्यक्ति मासिक खपत काफी कम है। खाद्य तेल से जिनको महंगाई बढ़ती दिखती है, उन्हें दूध के दाम निरंतर बढ़ने के समय यह चिंता जताते नहीं देखा जाता। जबकि दूध के दाम बढ़ने का एक बड़ा कारण तेल-खल का महंगा होना भी है।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 6,500-6,550 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,400-6,675 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,250 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,290-2,590 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 13,600 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,180-2,280 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,180-2,305 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,850 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,350 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,150 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 12,450 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,800 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,900 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 12,850 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,700-4,750 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,400-4,635 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,200 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)