कृत्रिम मेधा से नई नौकरियों का सृजन होगा, पर कई खत्म भी होंगी : संजीव सान्याल |

कृत्रिम मेधा से नई नौकरियों का सृजन होगा, पर कई खत्म भी होंगी : संजीव सान्याल

कृत्रिम मेधा से नई नौकरियों का सृजन होगा, पर कई खत्म भी होंगी : संजीव सान्याल

:   Modified Date:  October 23, 2024 / 04:27 PM IST, Published Date : October 23, 2024/4:27 pm IST

कोलकाता, 23 अक्टूबर (भाषा) प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य (ईएसीपीएम) संजीव सान्यालय ने बुधवार को कहा कि कृत्रिम मेधा (एआई) से नई नौकरियों का सृजन होगा और कई पुरानी खत्म भी होंगी। यह इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कैसे अपनाया जाता है।

उद्योग मंडल भारत चैंबर ऑफ कॉमर्स के एक कार्यक्रम सान्याल ने दावा किया कि कृत्रिम मेधा अत्यधिक कुशल लोगों को प्रभावित करेगा और मध्यस्थ के कार्य समाप्त हो जाएंगे।

सान्याल ने कहा, ‘‘एआई को लेकर बहुत चर्चा है। बहुत कुछ इस पर निर्भर करेगा कि हम इसे कैसे अपनाते हैं। सरकार और जनता के बीच इसपर बहस चल रही है। यह भी सच है कि अगर हम इसे नहीं अपनाएंगे तो पीछे रह जाएंगे।’’

उन्होंने दावा किया कि उच्च कौशल वाले क्षेत्रों में मौजूदा लोगों की भूमिका समाप्त हो जाएगी जबकि नौकरियां समाप्त भी होंगी और सृजित भी होंगी।

अर्थशास्त्री ने कहा, ‘‘एक क्षेत्र है, जहां एआई निश्चित रूप से प्रभाव डालेगा और वह शिक्षा है।’’

सान्याल ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि लोग वीडियो-प्रसारित करने वाली वेबसाइट पर व्याख्यान सुनेंगे और सवाल-जवाब के लिए एआई चैटबॉट का उपयोग करेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘इसका मतलब है कि छात्रों को कुछ आपसी सहयोग से जुड़े कार्यों को छोड़कर कॉलेज जाने की आवश्यकता नहीं होगी। स्नातक शिक्षा पूरी तरह से मुफ्त हो सकती है।’’

सान्याल ने यह भी कहा कि इसके जरिये पाठ्यक्रम को निर्बाध रूप से अद्यतन किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे स्थिति में, विश्वविद्यालय केवल शोध के लिए स्थान होंगे, न कि व्याख्यान देने के लिए। एआई का उपयोग करके प्रमाणन की एक प्रणाली भी बनाई जा सकती है।’’

सान्याल के अनुसार, मुख्य मुद्दा यह है कि नीतिगत उपायों का उपयोग करके इसे कैसे नियमित किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि अमेरिका ने एआई के लिए ‘लेसे फेयर’ यानी बिना कोई हस्तक्षेप के चीजों को अपने तरीके से आगे बढ़ने की नीति को अपनाया है, जबकि यूरोप नौकरशाही के जरिये नियंत्रण के पक्ष में है।

इन पहलुओं पर एक अध्ययन पत्र के सह-लेखक सान्याल ने कहा कि चीनी दृष्टिकोण भी यूरोप की तर्ज पर है।

उन्होंने कहा कि एआई को अपनाने के लिए मानवीय निरीक्षण के साथ चीजों पर नजर रखने के लिए एक नियामक की आवश्यकता होगी।

भाषा रमण अजय

अजय

 

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