आईबीसी के बाद 10.2 लाख करोड़ रुपये के कर्ज चूक मामले दिवाला स्वीकृति के पहले निपटाए गएःसमीक्षा |

आईबीसी के बाद 10.2 लाख करोड़ रुपये के कर्ज चूक मामले दिवाला स्वीकृति के पहले निपटाए गएःसमीक्षा

आईबीसी के बाद 10.2 लाख करोड़ रुपये के कर्ज चूक मामले दिवाला स्वीकृति के पहले निपटाए गएःसमीक्षा

:   Modified Date:  July 22, 2024 / 03:57 PM IST, Published Date : July 22, 2024/3:57 pm IST

नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) के 2016 में लागू होने के बाद से दिवाला प्रक्रिया के मामले स्वीकृत होने से पहले 10.2 लाख करोड़ रुपये की चूक का निपटान किया जा चुका है। समाधान प्रक्रिया से गुजरने वाली हर पांचवीं कंपनी रियल एस्टेट क्षेत्र की रही है। आर्थिक समीक्षा 2023-24 में यह बात कही गई है।

सोमवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा के मुताबिक, वित्त वर्ष 2017-18 के बाद से पिछले छह वर्षों में आईबीसी कानून की मदद से बैंक तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक की वसूली करने में सफल रहे। यह राशि लोक अदालतों, ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) और सरफेसी अधिनियम की पिछली व्यवस्थाओं से की गई वसूली से बहुत अधिक है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से संसद में पेश आर्थिक समीक्षा के मुताबिक, वर्ष 2016 में आईबीसी कानून लागू होने के बाद से मार्च, 2024 तक कुल 31,394 देनदारों के मामलों का निपटारा किया गया है, जिनमें मामले स्वीकृत होने के पहले निपटाए जा चुके मामलों समेत 13.9 लाख करोड़ रुपये का मूल्य शामिल है।

समाधान प्रक्रिया शुरू होते ही कंपनी का नियंत्रण खो देने की वजह से देनदारों ने राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में आवेदन दाखिल करते ही कर्जदाताओं के साथ समझौता कर लिया। समीक्षा के मुताबिक, ‘‘खास बात यह है कि 10.2 लाख करोड़ रुपये की अंतर्निहित चूक को दिवाला प्रक्रिया में स्वीकृति के पहले ही निपटा दिया गया। देनदारों के व्यवहार में आया यह बदलाव बैंकों और अन्य ऋण देने वाली संस्थाओं के लिए एक बड़ा वरदान रहा है।’’

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि मार्च, 2024 तक 1,500 से अधिक रियल एस्टेट कंपनियों को इस कानून के तहत दिवाला समाधान प्रक्रिया में शामिल कराया गया था, जो कुल स्वीकृत मामलों का 21 प्रतिशत है। स्वीकृति के बाद निपटाए गए चार मामलों में से एक भी रियल एस्टेट क्षेत्र से था। निपटाए गए 891 देनदारों में से 133 रियल एस्टेट कंपनियां थीं, जो निपटान की गईं कंपनियों का 15 प्रतिशत है।

समीक्षा के मुताबिक, मार्च, 2024 तक एनसीएलटी ने 4,131 कंपनी दिवाला समाधान प्रक्रिया के निपटान में मदद की है। इस दौरान 3,171 देनदार कंपनियों को बचाया गया जिनमें से 947 मामलों को स्वीकृत समाधान योजनाओं के माध्यम से हल किया गया है। इससे 3.36 लाख करोड़ रुपये का वसूली-योग्य मूल्य प्राप्त हुआ है।

आर्थिक समीक्षा कहती है कि समाधान किए गए दिवाला मामलों में लेनदार दावों का लगभग 32 प्रतिशत मूल्य वसूल करने में सफल रहे। यह उचित मूल्य का 85 प्रतिशत और परिसंपत्तियों के परिसमापन मूल्य का 162 प्रतिशत है। अब आईबीसी कानून अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) के लिए कर्ज वसूली का प्रमुख साधन बन गया है।

कर्ज समाधान से गुजरी कंपनियों का कुल बाजार मूल्य लगभग दो लाख करोड़ रुपये से बढ़कर छह लाख करोड़ रुपये हो गया। समाधान के बाद के तीन वर्षों में कुल रोजगार पर्याप्त रूप से बढ़ा है और समाधान से गुजरी कंपनियों में औसत कर्मचारी व्यय लगभग 50 प्रतिशत बढ़ा है।

आर्थिक समीक्षा के मुताबिक, मार्च, 2024 तक 2,476 कर्ज समाधान प्रक्रियाओं का अंत परिसमापन के रूप में हुआ क्योंकि निर्धारित समयसीमा के भीतर खरीदार नहीं खोजे जा सके। परिसमापन प्रक्रिया के अंत में कुल 586 कंपनियों को भंग कर दिया गया।

भाषा प्रेम प्रेम अजय

अजय

 

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