धारावी के पुनर्विकास में ड्रोन, लिडार जैसी उन्नत प्रौद्योगिकी का हो रहा इस्तेमाल |

धारावी के पुनर्विकास में ड्रोन, लिडार जैसी उन्नत प्रौद्योगिकी का हो रहा इस्तेमाल

धारावी के पुनर्विकास में ड्रोन, लिडार जैसी उन्नत प्रौद्योगिकी का हो रहा इस्तेमाल

Edited By :  
Modified Date: December 3, 2024 / 03:48 PM IST
,
Published Date: December 3, 2024 3:48 pm IST

मुंबई, तीन दिसंबर (भाषा) एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी की पुनर्विकास परियोजना के तहत देश में पहली बार किसी बस्ती के सर्वेक्षण और दस्तावेज तैयार करने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

अधिकारियों ने कहा कि मुंबई के धारावी इलाके में 620 एकड़ में फैली और घनी आबादी वाली बस्ती का मानचित्रण करने के लिए ड्रोन और सुदूर संवेदी प्रौद्योगिकी ‘लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग’ (लिडार) का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे इस बड़े आकार वाली पुनर्विकास परियोजना में सटीकता, पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

इस परियोजना का जिम्मा धारावी पुनर्विकास परियोजना प्राइवेट लिमिटेड के पास है जिसमें अदाणी समूह के पास 80 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इस परियोजना के तहत इस इलाके को एक शानदार शहरी केंद्र में बदलने की योजना है।

इस परियोजना के तहत मुंबई के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के करीब घनी आबादी वाली झुग्गियों में रहने वाले लगभग सात लाख लोगों को 350 वर्ग फुट तक के फ्लैट मुफ्त दिए जाने हैं।

अधिकारियों ने कहा कि पूरे इलाके का नक्शा बनाने और लाभार्थियों की पहचान करने के लिए उन्नत डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

झुग्गी पुनर्विकास प्राधिकरण (एसआरए) की परियोजनाओं के सर्वेक्षणों में परंपरागत रूप से कुल स्टेशन सर्वेक्षणों और भौतिक दस्तावेजों के भौतिक संग्रह जैसे तरीके अपनाए जाते थे। लेकिन धारावी परियोजना में डिजिटल रूप से डेटा एकत्र करने और उसका मूल्यांकन करने के लिए ड्रोन, लिडार प्रौद्योगिकी और मोबाइल एप्लिकेशन जैसे आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया गया है।

प्राधिकरण के अधिकारियों ने कहा कि उन्नत प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल धारावी का ‘डिजिटल प्रतिरूप’ बनाने के लिए किया जा रहा है। भू-स्थानिक डेटा जुटाने की अपनी क्षमता के लिए चर्चित लिडार दूरियों को मापने और इलाके, इमारतों और वस्तुओं के अत्यधिक सटीक 3डी निरूपण बनाने के लिए लेजर लाइट का उपयोग करता है।

वहीं ड्रोन तकनीक इलाके की हवाई तस्वीरों को कैद कर पूरक आंकड़े जुटाती है। इससे समूचे इलाके के मानचित्रण और योजना बनाने में मदद मिलती है। जमीनी स्तर पर भी सर्वेक्षण दल बस्ती में घूम-घूम कर आंकड़े जुटाने के लिए मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करते हैं।

अधिकारी ने कहा, ‘पहली बार भारत में किसी झुग्गी पुनर्वास योजना में ऐसी उन्नत प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। डिजिटल मॉडल आंकड़ों का अधिक प्रभावी ढंग से मूल्यांकन करने की अनुमति देगा। इससे विवादों का तेजी से समाधान संभव होता है और अनदेखी की आशंका भी कम हो जाती है।’

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण

 

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)