नयी दिल्ली, तीन दिसंबर (भाषा) इंजीनियरिंग क्षेत्र के एमएसएमई निर्यातकों ने मंगलवार को कहा कि इस्पात आयात पर अतिरिक्त शुल्क लगाने के किसी भी कदम से घरेलू उत्पाद प्रतिस्पर्धा में नहीं रहेंगे और इस क्षेत्र से देश के निर्यात पर असर पड़ेगा।
हैंड टूल एसोसिएशन के चेयरमैन एस सी रल्हन ने कहा कि सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) के इंजीनियरिंग निर्यातक पहले से ही नकदी के मोर्चे पर समस्याओं और घरेलू बाजार में इस्पात की ऊंची कीमतों का सामना कर रहे हैं।
रल्हन ने कहा, “घरेलू विनिर्माताओं द्वारा इस्पात की बढ़ती कीमतें हमें नुकसान पहुंचा रही हैं और अब हमने कई रिपोर्ट में देखा है कि सरकार 25 प्रतिशत सुरक्षा शुल्क लगाने की योजना बना रही है। इससे एमएसएमई निर्यातकों पर बहुत बुरा असर पड़ेगा।”
भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि यदि सरकार अतिरिक्त शुल्क लगाती है तो उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि घरेलू इस्पात कंपनियां कच्चे माल की कीमतें न बढ़ाएं।
सहाय ने कहा, “कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि से मूल्य संवर्धित इस्पात उत्पादों के निर्यात पर असर पड़ेगा।”
इस्पात मंत्रालय ने देश में कुछ इस्पात वस्तुओं के आयात पर 25 प्रतिशत सुरक्षा शुल्क लगाने का प्रस्ताव रखा है। यह प्रस्ताव दो दिसंबर को केंद्रीय इस्पात मंत्री एच डी कुमारस्वामी और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के बीच हुई बैठक में आया।
घरेलू इस्पात कंपनियां चीन जैसे चुनिंदा देशों से बढ़ते सस्ते इस्पात आयात पर चिंता जता रही हैं।
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