नईदिल्ली। वैश्विक महामारी कोविड—19 से निपटने के लिए पूरे देश में 14 अप्रैल तक पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा की गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश भर में किए गए लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था को 120 अरब डॉलर यानी करीब नौ लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।
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नौ लाख करोड़ रुपये भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के चार फीसदी के बराबर है। उन्होंने राहत पैकेज की जरूरत पर जोर देते हुए बुधवार को आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान में भी कटौती की। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक तीन अप्रैल को अगली द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के निष्कर्षों की घोषणा करने वाला है। जिसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक नीतिगत दर में बड़ी कटौती कर सकता है।
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लॉकडाउन के बाद शोध-सलाह कंपनी बार्कलेज ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए वृद्धि दर के अनुमान में 1.7 फीसदी की कटौती कर इसके 3.5 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया है। उसने कहा कि, ‘हमारा अनुमान है कि राष्ट्रव्यापी बंदी की कीमत करीब 120 अरब डॉलर यानी जीडीपी के चार फीसदी के बराबर रह सकती है।’
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इससे पहले फिच रेटिंग्स ने देश की GDP विकास दर का अनुमान घटाया था। रेटिंग एजेंसी ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए GDP ग्रोथ को घटाकर 5.1 फीसदी कर दिया है। इससे पहले फिच रेटिंग्स ने दिसंबर 2019 में भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान 5.6 फीसदी लगाया था।
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रेटिंग एजेंसी मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस ने भी भारत की विकास दर का अनुमान घटा दिया है। दरअसल वैश्विक मंदी के खतरे से होने वाले प्रभाव को देखते हुए मूडीज ने भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 5.4 से घटा कर 5.3 कर दिया है।
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