नयी दिल्ली, 24 जुलाई (भाषा) पूंजी बाजार नियामक सेबी के एक अध्ययन से पता चला है कि इक्विटी नकदी खंड में 10 में से सात व्यक्तिगत इंट्राडे कारोबारियों को वित्त वर्ष 2022-23 में घाटा उठाना पड़ा था।
इक्विटी बाजार में शेयर की खरीद और बिक्री एक ही कारोबारी सत्र में पूरी करने को ‘इंट्राडे’ कारोबार कहा जाता है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने बुधवार को यह अध्ययन रिपोर्ट जारी की। इसके मुताबिक, वित्त वर्ष 2018-19 की तुलना में 2022-23 के दौरान इक्विटी नकदी खंड में इंट्राडे कारोबार करने वाले लोगों की संख्या 300 प्रतिशत से अधिक बढ़ गई।
इस अध्ययन का एक दिलचस्प पहलू यह है कि लाभ में रहने वाले कारोबारियों की तुलना में घाटे में चलने वालों ने औसतन कहीं अधिक संख्या में सौदे किए। इसके अलावा 30 वर्ष से कम आयु के युवा इंट्राडे कारोबारियों की हिस्सेदारी इस अवधि में काफी बढ़ गई।
सेबी ने इक्विटी नकदी खंड में व्यक्तिगत इंट्राडे कारोबार में भागीदारी और लाभ एवं हानि के रुझानों के विश्लेषण के लिए यह अध्ययन किया है। इसमें कोविड महामारी से पहले और बाद के रुझानों का तुलनात्मक विश्लेषण करने के लिए वित्त वर्ष 2018-19, वित्त वर्ष 2021-22 और वित्त वर्ष 2022-23 की अवधि को लिया गया।
वित्त वर्ष 2022-23 में इक्विटी नकदी खंड में व्यक्तिगत ग्राहकों की संख्या का लगभग 86 प्रतिशत हिस्सा रखने वाली शीर्ष-10 ब्रोकिंग फर्मों के व्यक्तिगत ग्राहकों के नमूने पर यह अध्ययन किया गया है।
सेबी ने अपने अध्ययन में पाया कि इक्विटी नकदी खंड में कारोबार करने वाले हर तीन में से एक व्यक्ति इंट्राडे सौदा करता है। इसके अलावा, 30 वर्ष से कम आयु के युवा इंट्राडे कारोबारियों की हिस्सेदारी 2022-23 में बढ़कर 48 प्रतिशत हो गई जबकि 2018-19 में यह अनुपात 18 प्रतिशत था।
अध्ययन के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 में इक्विटी नकदी खंड में 10 में से सात व्यक्तिगत इंट्राडे कारोबारियों यानी 71 प्रतिशत को शुद्ध घाटा उठाना पड़ा। इसके अलावा बहुत बार (एक वर्ष में 500 से अधिक सौदे) कारोबार करने वाले कारोबारियों में से 80 प्रतिशत घाटे में रहे।
इन कारोबारियों ने अपने कारोबारी घाटे का अतिरिक्त 57 प्रतिशत सौदा लागत के रूप में खर्च किया जबकि लाभ कमाने वालों ने अपने ट्रेडिंग मुनाफे का 19 प्रतिशत ट्रेडिंग लागत के रूप में खर्च किया।
इसके अलावा, अन्य आयु समूहों की तुलना में 2022-23 के दौरान युवा कारोबारियों के बीच घाटे में रहने वालों का प्रतिशत 76 प्रतिशत था।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
अजय
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