नयी दिल्ली, 11 अक्टूबर (भाषा) भारत में महिलाओं के स्वामित्व वाले सूक्ष्म व्यवसायों की एक बड़ी संख्या ऐसी है, जिनके पास वित्तीय आपात स्थिति के लिए बचत का अभाव है। एक रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसे स्थिति में वे आर्थिक झटकों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
‘भारत में महिला स्वामित्व वाले सूक्ष्म व्यवसायों (डब्ल्यूएमबी) की वित्तीय सेहत की पड़ताल’ शीर्षक वाली इस रिपोर्ट को माइक्रोसेव कंसल्टिंग (एमएससी) ने सा-धन के सहयोग से तैयार किया है। रिपोर्ट जेपी मॉर्गन चेस द्वारा समर्थित है।
इस शोध के दायरे में छह क्षेत्र – दिल्ली-एनसीआर, गुजरात, महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु शामिल हैं।
इसके लिए आंकड़े 1,460 कंप्यूटर की मदद से किए गए व्यक्तिगत साक्षात्कार, वित्तीय संस्थानों और उद्यम सहायता संगठनों के साथ साक्षात्कारों और व्यापक शोध के जरिये जुटाये गए।
रिपोर्ट में बताया गया कि 45 प्रतिशत महिला उद्यमियों के पास आपात वित्तीय स्थिति के लिए बचत की कमी है, जिससे वे आर्थिक झटकों के प्रति अतिसंवेदनशील हो जाती हैं।
इसके अलावा, कई को व्यक्तिगत और व्यावसायिक वित्त के बीच अंतर करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में नकदी प्रवाह प्रबंधन जटिल हो जाता है और सटीक वित्तीय रिकॉर्ड रखने में बाधा पैदा होती है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि 60 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने अपने परिचालन के लिए कोई लिखित रिकॉर्ड नहीं बनाए हैं।
इनमें से 55 प्रतिशत का मानना है कि छोटे लाभ मार्जिन के कारण अलग-अलग रिकॉर्ड रखना जरूरी नहीं है, जबकि अन्य को रिकॉर्ड बनाना बहुत जटिल लगता है।
इनमें से लगभग 55 प्रतिशत व्यवसायों में किसी भी कर्मचारी को नियुक्त नहीं किया जाता है, और वे एकल उद्यम के रूप में काम करते हैं। यह प्रवृत्ति रोजगार सृजन और व्यापक अर्थव्यवस्था में उनके योगदान को सीमित करती है।
महिला उद्यमियों द्वारा संचालित जिन व्यवसायों का वार्षिक राजस्व 1.50 लाख रुपये से नौ लाख रुपये के बीच है और जिनमें अधिकतम तीन व्यक्ति कार्यरत हैं, उन्हें इस रिपोर्ट में शामिल किया गया।
भाषा पाण्डेय अजय
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