नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार तीसरी बार सत्ता की कमान संभाल चुकी है। सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले अंतरिम बजट पेश किया था और अब केंद्रीय मंत्री निर्मला सीताराम कल संसद में बजट पेश करेंगी।
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LPG Gas Price Reduce in Union Budget 2024
इस बजट से जहां नौकरीपेशा, व्यापारी वर्ग और प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को बड़ी उम्मीदें है तो गृहिणियों को भी भरोसा हैं कि सरकार उन्हें इस बढ़ती महंगाई के बीच राहत देगी और घरेलू सिलेंडरों के दाम कम करेंगी। हालांकि इसकी उम्मीद कम ही हैं। दरअसल इसी साल के 8 मार्च यानी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर पीएम मोदी ने बड़ा ऐलान करते हुए घरेलू गैस यानी 14.2 किलोग्राम के सिलेंडरों में 100 की कटौती की थी। इसका लाभ अब भी लोगों को मिल रहा है। ऐसे में सरकार बजट में ऐसे किसी प्रस्ताव को शामिल करें इसकी उम्मीद कम ही है।
Change in the tax slab
टैक्स स्लैब में हो सकता है बदलाव
देश का मिडिल क्लास टैक्स स्लैब में बदलाव की उम्मीदें लगाए बैठा है। नई टैक्स व्यवस्था में 3 लाख रुपये तक कि आय पर टैक्स छूट है। अब लोगों को उम्मीद है कि सरकार इसे 5 लाख रुपये तक कर सकती है। अगर ऐसा होता है तो यह मिडिल क्लास के लिए बड़ी राहत होगी। वहीं जिन्होंने नई टैक्स व्यवस्था नहीं चुनी है और पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत कर चुकाते हैं, उनके लिए 2 लाख 50 हजार रुपये तक की आय पर ही टैक्स छूट है।
Increase in basic salary
बेसिक सैलरी में वृद्धि
अभी तक बेसिक सैलरी 15 हजार रुपये है। लेकिन माना जा रहा है कि ईपीएफ में योगदान के लिए सरकार बेसिक सैलरी में वृद्धि का ऐलान कर सकती है। इसे बढ़ाकर 25 हजार रुपये किया जा सकता है। यह प्रस्ताव श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की ओर से भी रखा गया है। अगर यह होता है तो 10 साल के बाद पहली बार बेसिक सैलरी में बदलाव होगा।
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Petrol-Diesel under GST?
क्या पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाएगा?
सबसे ज्यादा उम्मीद लोगों को पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर है। लोगों को उम्मीद है कि सरकार इस बार पेट्रोल डीजल को जीएसटी के अंतर्गत ला सकती है, जिससे इसके दाम कम होंगे। बता दें कि पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर अभी एक्साइज ड्यूटी और वैट जैसे टैक्स लगाए जाते हैं। लेकिन अगर इसे जीएसटी के दायरे में लाया जाएगा तो इसके दाम में कमी आ सकती है और आम आदमी को बड़ी राहत मिल सकती है।
Economic Survey presented
पेश हुआ आर्थिक सर्वे
- केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में आर्थिक समीक्षा 2023-24 पेश की. इसे मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन और उनके दल ने लिखा है. आर्थिक समीक्षा की मुख्य बातें इस प्रकार हैं।
- वित्तवर्ष 2024-25 में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 से सात प्रतिशत रहने का अनुमान, जबकि 2023-24 में यह 8.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत सरकार का अभूतपूर्व तीसरा लोकप्रिय जनादेश राजनीतिक तथा नीतिगत निरंतरता का संकेत देता है।
- अनिश्चित वैश्विक आर्थिक प्रदर्शन के बावजूद वित्तवर्ष 2023-24 में घरेलू स्तर पर वृद्धि को बढ़ावा देने वाले तत्वों ने आर्थिक वृद्धि को सहारा दिया।
- भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत तथा स्थिर स्थिति में है, जो भू-राजनीतिक चुनौतियों से निपटने में उसकी जुझारू क्षमता को दर्शाता है।
- वैश्विक महामारी के प्रभावों से पूरी तरह निकलने के लिए घरेलू मोर्चे पर कड़ी मेहनत करनी होगी।
- व्यापार, निवेश तथा जलवायु जैसे प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर सहमति बनाना असाधारण रूप से कठिन हो गया है।
- अल्पकालिक मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान अनुकूल है, लेकिन भारत को दलहनों में लगातार कमी और परिणामस्वरूप मूल्य दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
- मॉनसून के सामान्य रहने की उम्मीद और आयात कीमतों में नरमी से RBI के मुद्रास्फीति अनुमानों को बल मिलता है।
- गरीब तथा निम्न आय वाले उपभोक्ताओं के लिए उच्च खाद्य कीमतों के कारण होने वाली कठिनाइयों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण या उचित अवधि के लिए वैध निर्दिष्ट खरीद के वास्ते ‘कूपन’ के ज़रिये नियंत्रित किया जा सकता है।
- यह पता लगाने के तरीके सुझाए गए हैं कि क्या भारत के मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे को खाद्य वस्तुओं को छोड़कर मुद्रास्फीति दर को लक्षित करना चाहिए।
- भू-राजनीतिक तनाव में वृद्धि तथा इसका प्रभाव RBI की मौद्रिक नीति के रुख को प्रभावित कर सकता है.भारत के वित्तीय क्षेत्र का परिदृश्य उज्ज्वल है।
- चूंकि वित्तीय क्षेत्र महत्वपूर्ण बदलाव से गुजर रहा है, इसलिए इसे वैश्विक या स्थानीय स्तर पर उत्पन्न होने वाली संभावित कमजोरियों के लिए तैयार रहना चाहिए।
- बेहतर कॉरपोरेट और बैंकों के बही-खाते से निजी निवेश को और मजबूती मिलेगी।
- भारत की नीतियां चुनौतियों से कुशलतापूर्वक निपट पाईं, वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद मूल्य स्थिरता सुनिश्चित की गई।
- कर अनुपालन लाभ, व्यय संयम और डिजिटलीकरण ने भारत को सरकार के राजकोषीय प्रबंधन में बेहतर संतुलन हासिल करने में मदद की।