प्रयागराज : Mahakumbh Dandi Bada : महाकुंभ एक ऐसा समागम है, जहां देश और विदेश के श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने प्रयागराज पहुंचते है और साथ ही साधु संन्यासियों के दर्शन कर उनका आशीर्वाद भी लेते हैं। महाकुंभ में कई बड़े साधु-संत पहुंचते हैं। इन्हीं संतों में से एक समूह दंडी स्वामियों का है। कहा जाता है कि, महाकुंभ में दण्डी बाड़ा का विशेष महत्व है। आज हम आपको दण्डी बाड़ा से जुड़ी कुछ ख़ास बातें बताने जा रहे हैं। हम आपको बताएंगे कि, आखिर क्या है दंडी बाड़ा, इसमें किस तरह के सन्यासी जुड़े होते हैं।
Mahakumbh Dandi Bada : 12 साल बाद 2025 में महाकुंभ का आगाज हो रहा है। प्रयागराज में महाकुंभ का आरंभ 13 जनवरी 2025 से होगी और 26 फरवरी तक चलेग।
हाथ में दण्ड जिसे ब्रह्म दण्ड कहते है, धारण करने वाले संन्यासी को दण्डी संन्यासी कहा जाता है। दण्डी संन्यासियों का संगठन दण्डी बाड़ा के नाम से जाना जाता है। “दण्ड संन्यास” सम्प्रदाय नहीं अपितु आश्रम परम्परा है। प्रथम दण्डी संन्यासी के रुप में भगवान नारायण ने ही दण्ड धारण किया था।
Mahakumbh Dandi Bada : धर्म की रक्षा के लिए शंकराचार्य ने अखाड़ों के अलावा दशनाम संन्यास की स्थापना की, जिनमें तीन (आश्रम, तीर्थ, सरस्वती) दण्डी संन्यासी हुए।
आश्रम का प्रधान मठ शारदा मठ है, इनके देवता सिद्धेश्वर और देवी भद्रकाली होती हैं।
तीर्थ दशना सन्यासी आश्रम के ही समस्त आचरण को अपनाते हैं।
तीसरा नाम सरस्वती है, जो शृंगेरी मठ के अनुयायी होते हैं।
दंडी स्वामी खुद नारायण के अवतार होते हैं। दंडी स्वामी के दर्शन मात्र से ही नारायण के दर्शन और आशीर्वाद पाने की मान्यता है। कहते हैं अगर कुंभ में दंडी स्वामी की सेवा, दर्शन नहीं किए तो कुंभ स्नान, जप-तप अधूरा माना जाता है।
Mahakumbh Dandi Bada : दंडी संन्यासी केवल ब्राह्मण ही हो सकता है। उसे भी माता-पिता और पत्नी के न रहने पर ही दंडी होने की अनुमति थी। दंडी स्वामियों की अलग दुनिया है, ये कठिन दिनचर्या और तप के जरिये ये अपनी साधना में लगे रहते हैं। न तो दंडी स्वामी खुद अन्न बनाते हैं, न ही बिना निमंत्रण किसी के यहां भोजन करने जाते हैं। जब कोई ब्राह्मण या संत खाने पर बुलाता है, तभी खाने जाते हैं। इन पर मां लक्ष्मी का आशीर्वाद होता है।
महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से 26 फरवरी 2025 तक किया जाएगा।
दंडी बाड़ा दंडी संन्यासियों का समूह है, जो ब्रह्म दंड धारण करते हैं। महाकुंभ में इनके दर्शन और आशीर्वाद को अत्यंत शुभ माना जाता है।
दंडी संन्यासी केवल ब्राह्मण हो सकते हैं, जो कठिन तपस्या और साधना में जीवन बिताते हैं। इन्हें नारायण का अवतार माना जाता है।
मान्यता है कि महाकुंभ में दंडी स्वामी के दर्शन और सेवा से भगवान नारायण का आशीर्वाद मिलता है और बिना उनके दर्शन के कुंभ स्नान अधूरा माना जाता है।
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2 hours ago