भोपाल: Saurabh Sharma arrested, भोपाल के पूर्व आरटीओ कॉन्स्टेबल सौरभ शर्मा, जो आय से अधिक संपत्ति और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में जांच एजेंसियों के घेरे में थे, को 28 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद उनके करीबी दोस्त चेतन गौर को भी हिरासत में लिया गया। दोनों से लोकायुक्त मुख्यालय में आमने-सामने पूछताछ की गई है।
पूछताछ और मेडिकल के बाद कोर्ट में पेश किया गया, मामले में और पूछताछ के लिए लोकायुक्त ने रिमांड की मांग की है। न्यायाधीश रामप्रसाद मिश्र की कोर्ट में पेशी की गई है। फिलहाल ताजा समाचार मिलने तक कोर्ट में बहस जारी है, लोकयुक्त ने 4 फरवरी तक की रिमांड मांगी है। सौरभ के वकील ने गिरफ्तारी पर कोर्ट में आपत्ति जताई है। कोर्ट में पूछताछ की वीडियो रिकॉर्डिंग की भी वकील ने मांगा है। कोर्ट का फैसला आना अभी बाकी है।
बताया जा रहा है कि सौरभ शर्मा दुबई से लौटने के बाद हरिद्वार, ऋषिकेश और वैष्णोदेवी जैसे धार्मिक स्थलों की यात्रा कर रहे थे। इस दौरान जांच एजेंसियां उनकी तलाश में जुटी थीं। सौरभ के एक दोस्त की कार से 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपये नकद बरामद होने के बाद वह जांच एजेंसियों के निशाने पर आ गए।
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सौरभ शर्मा पर आरोप है कि उन्होंने परिवहन विभाग में अपनी नौकरी का दुरुपयोग कर अवैध तरीके से संपत्ति अर्जित की। इस मामले में लोकायुक्त, आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय जैसे तीन बड़े जांच एजेंसियां उनके खिलाफ कार्रवाई कर रही थीं।
सौरभ और उनकी पत्नी दिव्या तिवारी 23 दिसंबर को दुबई से लौट आए थे। हालांकि, वे लगातार जांच एजेंसियों से बचते रहे। उन्होंने सड़क मार्ग से विभिन्न धार्मिक स्थलों की यात्रा की और दिल्ली के आसपास ही मौजूद रहे। पिछले एक सप्ताह से सौरभ ग्वालियर स्थित अपने घर पर रह रहे थे।
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27 जनवरी को सौरभ शर्मा ने भोपाल कोर्ट में सरेंडर कर दिया। उसी दिन उनकी पत्नी दिव्या ईडी कार्यालय में पेश हुईं। दिव्या ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वह बेहद कठिन समय से गुजर रही हैं।
सौरभ के वकीलों ने बताया कि उन्हें हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिलने की उम्मीद नहीं थी, इसलिए सरेंडर करने का फैसला लिया गया। उन्होंने लोकायुक्त कोर्ट में आत्मसमर्पण किया क्योंकि यहां उन्हें जल्दी राहत मिलने की उम्मीद थी। लोकायुक्त में उन पर केवल भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज है, जबकि ईडी में मनी लॉन्ड्रिंग का केस है, जिसमें लंबी जांच का सामना करना पड़ सकता है।
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लोकायुक्त डीजी ने कहा कि अन्य आरोपियों को भी जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। चेतन गौर की सुरक्षा पर उन्होंने स्पष्ट किया कि एजेंसी की कस्टडी में किसी की जान को कोई खतरा नहीं है। यह मामला भ्रष्टाचार और अवैध संपत्ति अर्जित करने का एक बड़ा उदाहरण बन चुका है, जिसमें जांच एजेंसियों का दबाव और कानूनी प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है।
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