Solar eclipse going to happen on Vaishakh Amavasya: इस साल वैशाख अमावस्या पर एक ही दिन में तीन तरह के सूर्य ग्रहण दिखेंगे, जिसे वैज्ञानिकों ने हाइब्रिड सूर्य ग्रहण कहा है। माना जाता है कि वैशाख अमावस्या के दिन पितरों के तर्पण बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। वैशाख मास कृष्ण पक्ष की अमावस्या को वैशाखी अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। इस बार संयोग से 100 साल बाद हाइब्रिड सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है।
इस बार सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल, गुरुवार को लगने जा रहा है। मान्यता है कि अमावस्या के दिन पितरों के नाम दान करना बड़ा ही फलदायी होता है। लेकिन इस बार यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। इसलिए सूर्य ग्रहण का अमावस्या पर कोई असर नहीं होगा।
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इस बार वैशाख अमावस्या 20 अप्रैल को पड़ रही है। साथ ही इसी दिन सूर्य ग्रहण भी दिखेगा। वैशाख अमावस्या का मुहूर्त 19 अप्रैल से सुबह 11 बजकर 23 मिनट से शुरू होगा और इसका समापन 20 अप्रैल को सुबह 09 बजकर 41 मिनट पर होगा। 20 अप्रैल को सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05 बजकर 51 मिनट से लेकर रात 11 बजकर 11 मिनट तक रहेगा।
यह ग्रहण सुबह 7 बजकर 4 मिनट से शुरू होगा और दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर खत्म होगा। इस सूर्य ग्रहण की अवधि 5 घंटे 24 मिनट की होगी। इस सूर्य ग्रहण के दो दिन बाद देवगुरु बृहस्पति का गोचर होगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल नहीं माना जाएगा। लेकिन इस सूर्य ग्रहण का असर सभी राशियों पर पड़ेगा।
सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्नान करें। ये न कर पाएं तो घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे और तिल डालकर नहाएं। उगते हुए सूरज को तांबे के लौटे से जल चढ़ाएं। दिनभर व्रत रखने और जरुरतमंद लोगों को दान देने का संकल्प लें।
Solar eclipse going to happen on Vaishakh Amavasya: पितरों की तृप्ति का संकल्प लेकर जल, अन्न का दान करें। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है व पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होने की मान्यता है। इस दिन गाय की पूजा करें। गाय को हरा चारा खिलाने से पितृ प्रसन्न होते हैं। पितरों की तृप्ति के लिए लोटे में पानी, दूध, तिल और चावल डालकर पीपल के पेड़ पर चढ़ाएं। पीपल को छूकर प्रणाम करें। पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाएं और 5 या 7 परिक्रमा करें।मंदिरों या अन्य जगहों पर जरुरतमंद लोगों को खाना खिलाएं, जलदान करें और जरुरत के मुताबिक चीजें दें। मंदिर जाकर शनि देव की मूर्ति पर तिल का तेल चढ़ाएं। तिल के तेल से ही दीपक भी लगाएं।
अमावस्या पर शनि पूजा का भी विशेष महत्व है, इसलिए लकड़ी की चौकी पर काला कपड़ा बिछाएं। शनिदेव की मूर्ति या चित्र, यंत्र और सुपारी स्थापित करके सरसों के तेल का दीपक जलाएं। शनि देव पर सिंदूर, कुमकुम, काजल लगाकर उन्हें नीले फूल अर्पित करें और शनि देव को भोग लगाएं।
यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा. यह सूर्य ग्रहण चीन, अमेरिका, माइक्रोनेशिया, मलेशिया, फिजी, जापान, समोआ, सोलोमन, सिंगापुर, थाइलैंड, कंबोडिया, अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, वियतनाम, ताइवान, पापुआ न्यू गिनी, इंडोनेशिया, फिलीपींस, दक्षिण हिंद महासागर और दक्षिण प्रशांत महासागर जैसी जगहों पर दिखाई देगा।