Narak Chaturdashi today, these two special yogas are being formed

Narak Chaturdashi 2024: नरक चतुर्दशी आज, बन रहे ये दो खास योग, यहां जानें पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और कथा

नरक चतुर्दशी आज, बन रहे ये दो खास योग, Narak Chaturdashi today, these two special yogas are being formed

Edited By :   Modified Date:  October 30, 2024 / 06:43 AM IST, Published Date : October 30, 2024/6:43 am IST

नई दिल्लीः 5 दिनों तक चलने वाले दीपोत्सव पर्व की शुरुआत धनतेरस के साथ मंगलवार से हो गई है। वैदिक पंचांग के अनुसार आज यानी 30 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी। यह पर्व हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर श्री कृष्ण के साथ कालिका माता और यमराज की पूजा भी की जाती है। दिवाली से एक दिन पूर्व मनाए जाने के कारण इसे छोटी दिवाली भी कहते हैं।

हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 30 अक्टूबर की सुबह 11 बजकर 32 मिनट से शुरु हो रही है। चतुर्दशी तिथि अगले दिन यानी 31 अक्टूबर को दोपहर 2 बजकर 53 मिनट पर समाप्त हो रही है। चूंकि यम चतुर्दशी की पूजा प्रदोष काल यानी शाम के समय की जाती है इसलिए नरक चतुर्दशी 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी। नरक चतुर्दशी पर यम के नाम का दीपक प्रदोष काल (Pradosh Kaal) में ही जलाया जाता है। इस दिन यम के नाम का दीपक जलाने और यम की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 30 मिनट से 7 बजकर 2 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप यम के नाम का दीपक जला सकते हैं।

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नरक चतुर्दशी पूजा का शुभ मुहूर्त

नरक चतुर्दशी का त्योहार इस बार 30 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। इस दिन शाम की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 5 बजकर 41 मिनट से 7 बजे तक रहेगा। वहीं अभ्यंग स्नान चतुर्दशी तिथि में 31 अक्टबर को सुबह 5 बजकर 33 मिनट से 6 बजकर 47 मिनट के बीच किया जाएगा।

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पूजा विधि:-

प्रातः स्नान: प्रातः काल सूर्योदय से पहले उबटन और तिल के तेल से इस दिन स्नान करें। इस दिन सुबह जल्दी उठने से और स्नान करने से कई तरह के शुभ फल आपको प्राप्त होते हैं।

दीप जलाना: स्नान के बाद घर के मुख्य द्वार पर और अन्य स्थानों पर दीप जलाएं। ऐसा करने से नकारात्मक शक्तियों को दूर करने में आप कामयाब होते हैं। साथ ही दीप जलाने से भगवान के साथ ही आपके पितृ भी प्रसन्न होते हैं।

भगवान की पूजा: इस दिन पूजा स्थल पर दीप, अगरबत्ती आदि जलाएं। इसके बाद भगवान कृष्ण, माता काली और यमराज की पूजा करें। नरकासुर के वध में श्रीकृष्ण ने देवी काली का आह्वान किया था। यमराज के लिए एक दीपक जलाकर घर के बाहर रख दें, जिसे यम दीप कहते हैं।

नैवेद्य अर्पित करें: पूजा के दौरान मिठाई, फल, और अन्य प्रसाद देवी-देवताओं को अवश्य अर्पित करें।

प्रार्थना और मंत्र: भगवान से पापों से मुक्ति की प्रार्थना करें। संपूर्ण परिवार के कल्याण के लिए विशेष मंत्रों का उच्चारण करें। आप भगवान कृष्ण, माता काली, हनुमान जी के मंत्रों का जप कर सकते हैं। इसके साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ करने से भी इस दिन विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।

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नरक चतुर्दशी की कथा

कथाओं के अनुसार, नरकासुर नाम का एक राक्षस था, जिसने अपने अत्याचारों से पृथ्वी पर आतंक मचा रखा था। उसने 16,000 कन्याओं को बंदी बना लिया था और अनेक ऋषि-मुनियों को परेशान कर रखा था। देवताओं की प्रार्थना पर भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ नरकासुर का वध किया और उन कन्याओं को मुक्त कराया। कहा जाता है कि इस दिन नरकासुर का वध हुआ था और इसीलिए इसे नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है।

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