रायपुरः Cheetah Returns भारत में 1952 में चीतों के विलुप्त घोषित किया गया था। यानी 70 साल से देश के जंगल रफ्तार के प्रतीक इस वन्यजीव से खाली थे, लेकिन आपको ये जानकार हैरानी होगी कि देश में बचे आखिरी तीन चीते भी अविभाजित मध्यप्रदेश में ही थे, जिनका शिकार कोरिया रियासत के राजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने 1947 में किया था। इसी के बाद से जंगल की रफ्तार थम गई।
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Cheetah Returns देश के दिल मध्यप्रदेश में एक बार फिर रफ्तार की वापसी हो रही है। 70 साल बाद फिर जंगल चीतों से गुलजार होंगे। 1952 से देश में चीते नहीं हैं, लेकिन ईको सिस्टम को दुरुस्त रखने के लिए अफ्रीकी देश नामीबिया से 8 चीते लाए जा रहे हैं। लेकिन आपको ये जानकर हैरानी होगी कि देश में बचे आखिरी तीन चीते छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के रामगढ़ इलाके के जंगलों में थे। इनमें एक मादा और दो नर थे, जिनका शिकार तत्कालीन कोरिया नरेश रामानुज प्रताप सिंहदेव ने किया था। बताया जाता है कि 1947 में उन्होंने तीनों चीतों का शिकार किया था। बस इसी के बाद देश से चीतों खत्म हो गए…रामानुज प्रताप सिंहदेव के बेटे कोरिया कुमार और छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री रामचंद्र सिंहदेव अपने करीबियों से अक्सर अपने पिता के शिकार के शौक को लेकर बात करते थे।
1901 में जन्मे रामानुज प्रताप सिंहदेव का 1954 में निधन हुआ। बताते हैं कि कोरिया नरेश शिकार के इतने शौकीन थे कि वो शिकार के लिए कश्मीर तक चले जाते थे। वैसे अक्सर वो रामगढ़, झगराखांड, सलका इलाके में जंगली जीवों का शिकार करते थे। आज भी बैकुंठपुर के महलपारा इलाके में बने कोरिया पैलेस में ऐसे दो कमरे हैं, जिनमें एक में भारतीय तो दूसरे कमरे में अफ्रीकी जानवरों की ट्रॉफियां रखी हैं। हालांकि राजपरिवार से जुड़े सदस्य शिकार को लेकर कोई अधिकृबात नहीं करते।
हालांकि अब एक बार फिर 70 साल बाद देश के जंगलों को गुलजार करने 8 चीते लाए जा रहे हैं, जो मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़े जाएंगे। उम्मीद है कि इसके बाद चीतों का कुनबा और बढ़ेगा।
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