#NindakNiyre: कांग्रेस के रायपुर में होने जा रहे अधिवेशन में क्या होगा ?
#NindakNiyre: क्या होगा कांग्रेस के रायपुर में होने जा रहे अधिवेशन में! What will happen in Congress Maha Adhiveshan
Edited By :
Barun ShrivastavaModified Date:
February 22, 2023 / 01:13 PM IST,
Published Date :
February 20, 2023/8:33 pm IST
बरुण सखाजी
What will happen in Congress Maha Adhiveshan क्या होगा कांग्रेस के 85वें रायपुर अधिवेशन में। यह बड़ा सवाल है। अगर हमें यह समझना है कि क्या होगा तो हमें यह समझना होगा क्या हुआ? यानि अधिवेशनों से क्या होता है कांग्रेस में और क्यों ये अधिवेशन चर्चा में आते हैं।
What will happen in Congress Maha Adhiveshan अब सवाल है कि अधिवेशन में होता क्या है। शुरुआत में यह वार्षिक रूप से होते रहे हैं, जिनमें वार्षिक राजनीतिक, सामाजिक जुड़ाव, प्रदर्शन, मुद्दों आदि पर बात होती रही, लेकिन फिर यह पूरी तरह से चुनावी होते गए। आजादी के बाद के सभी अधिवेशन कांग्रेस की चुनावी तैयारी के रूप में जाने जाते हैं। इस लिहाज से देखें तो अधिवेशनों के असर पर नजर डालना पड़ेगी।
1947 से 1990 तक कांग्रेस के 24 अधिवेशन हुए। इनमें से भी 20 तब हुए जब कांग्रेस मजबूत थी। कमजोर होती कांग्रेस में यह परंपरा कम होती गई। यानि 1977 से 1990 तक के 13 वर्षों में सिर्फ 4 ही अधिवेशन हुए। 1985 के बाद अगला अधिवेशन 1992 में हुआ। तब तक कांग्रेस बहुत कमजोर हो चुकी थी। फिर 1997, 2001, 2006, 2010 और 2018 में अधिवेशन हुए। यानि इस सदी का रायपुर में होने जा रहा अधिवेशन 5वां कहा जा सकता है।
अब जानते हैं इसमें क्या हो सकता है। कांग्रेस के सामने इस समय लोगों के बीच सिर्फ वोट का संकट नहीं है बल्कि लोगों में उसके प्रति विश्वास का भी संकट है। कांग्रेस की पुरानी बैठकें और उदयपुर चिंतन शिवर जैसे आयोजन देखकर नहीं लगता कि कांग्रेस अभी विश्वास का संकट मान रही है। वोट से तौला जाने वाला विश्वास असल में विश्वास नहीं होता। यह कई बार किसी को हराने के लिए भी इस्तेमाल होता है, जैसा कि हमने छत्तीसगढ़ में 2018 में देखा था। ऐसे में कांग्रेस को इस विश्वास बहाली पर काम करने की जरूरत।
रायपुर के अधिवेशन में मुख्यतः इन कुछ बिंदुओं पर बात हो सकती है
पहली, एंटी भाजपा वोट्स को बाकी दलों के साथ कैसे जोड़ा जाए इस पर कांग्रेस में नीति बनेगी। हाल ही में कांग्रेस की प्रेसकॉन्फ्रेंस इस तरफ इशारा कर रहा है। इसमें कहा गया है कि विपक्ष बिना कांग्रेस के एकजुट नहीं हो सकता। नीतीश के बात को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस ने यह बात कही है।
दूसरी, छत्तीसगढ़ समेत 2023 के 9 राज्यों में कैसे चुनाव जीता जाए। इस पर कांग्रेस में मंथन होगा। इन 9 राज्यों में राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही कांग्रेस की सरकार है। छत्तीसगढ़ मॉडल को हिमाचल सफल बता रहे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस दिशा में आगे बड़ सकते हैं। यानि पार्टी में छत्तीसगढ़ की कुछ योजनाओं को बाकी राज्यों और 2024 के राष्ट्रीय चुनावों में घोषणापत्र में रखा जा सकता है।
तीसरी, कांग्रेस वर्तमान के राज्यों में ऐसी योजनाओं पर काम करना चाहेगी, जहां की सफलताओं को 2024 में शोकेस किया जा सके।
चौथी, मजबूत होते क्षेत्रीय क्षत्रपों का फायदा उठाने की भी रणनीति बन सकती है। इनमें भूपेश बघेल, हिमाचल के सुक्खी, गहलोत, कमलनाथ को फ्रंटफुट पर रखने पर विचार होगा।
पांचवी, एमपी-सीजी में मुख्यमंत्री का घोषित चेहरा भी दिया जा सकता है। राजस्थान को लेकर पार्टी असमंजस में है।
छठवां, पार्टी यहां से देशभर में विपक्षियों को भी संदेश देना चाहेगी कि देश में गैरभाजपाई राजनीति करना है तो कांग्रेस के नेतृत्व को स्वीकारना होगा।
सातवां, मोदी और भाजपा के आदिवासी वोटर्स को लुभाने के चल रहे प्रयास के जवाब में पार्टी इस दिशा में भी कुछ कर सकती है।
आठवां, अधिवेशन में लड़की हूं लड़ सकती हूं को ध्यान में रखते हुए महिला वोटर्स के लिए भी कांग्रेस नीति पर चर्चा कर सकती है।
नवमां, मोदी के बढ़ते तमिल प्रेम को देखते हुए कांग्रेस तमिलनाडु फोकस नीति और संगठन पर भी बात कर सकती है।
दसवां, राहुल गांधी की भारतजोड़ो यात्रा के दूसरे हिस्से का ऐलान या रूपरेखा भी बन सकती है। बताया जाता है यह अब पूर्व से पश्चिम की हो सकती है।
हाल के चुनावी गणित को समझें तो मोदी सरकार 37 फीसद वोटों के साथ 303 सीटों पर काबिज है। अपने सहयोगियों को गंवा चुकी है और राज्यों में क्षेत्रीय मजबूत नेताओं के अकाल से जूझ रही है। कांग्रेस मानती है बाकी बचे 63 फीसद वोट में से कांग्रेस के पास सिर्फ 19 फीसद ही हैं। यानि 44 फीसद क्षेत्रीय दलों के पास हैं। ऐसे में कांग्रेस अपना शेयर 19 से 30 तक ले जाकर करमात करना चाहेगी। रायपुर अधिवेशन इस दिशा में अहम कड़ी सिद्ध होना चाहिए।
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