PM Narendra Modi And Nitish Kumar Relationship

मोदी और नीतीश: ये रिश्ता क्या कहलाता है? कभी हाथ मिलाने से कतराते थे.. अब मुस्कुरा के साथ तस्वीरें खिंचाते हैं : परमेन्द्र मोहन

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Modified Date: September 10, 2023 / 09:43 PM IST
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Published Date: September 10, 2023 9:43 pm IST

 

परमेन्द्र मोहन, एक्जीक्यूटिव एडिटर, IBC24

परमेन्द्र मोहन, एक्जीक्यूटिव एडिटर, IBC24

 

 

कभी हाथ मिलाने से कतराते थे..

अब मुस्कुरा के साथ तस्वीरें खिंचाते हैं..

जो तस्वीर आई सामने तो चल निकली है चर्चा..

कि दूर-दूर ही रहेंगे या फिर साथ चले आते हैं?

नई दिल्ली : क्या है ये नया माज़रा… क्या नई कहानी शुरू हुई है, इसे जानने से पहले बस ये समझ लीजिए कि अरसे बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुलाकात हुई, (PM Narendra Modi And Nitish Kumar Relationship) जिसके बाद एक तस्वीर सामने आई है। तस्वीर तो दिल्ली से जी-20 के आयोजन के दौरान सामने आई, लेकिन इसकी चर्चा बिहार के सियासी गलियारों में गर्मजोशी से चल रही है।

How Nitish Kumar's love-hate relationship with Narendra Modi impacted Bihar  politics in last 20 years | India News - Times of India

दिल्ली में आयोजित जी-20 की बैठक के दौरान दुनिया ने बदलते भारत की तस्वीर देखी, लेकिन इसी आयोजन के दौरान की इस तस्वीर को लेकर बिहार में भविष्य की राजनीति के बदलने के कयास भी लगने लगे हैं। इस तस्वीर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल से जारी किया है, जिसमें वो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का परिचय अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से कराते नज़र आ रहे हैं। जी-20 की डिनर पार्टी में जहां कांग्रेस के दो दिग्गज मुख्यमंत्री राजस्थान के अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल नहीं दिखे, वहीं कांग्रेस के साथ I.N.D.I.A. में शामिल जेडीयू के नीतीश कुमार ख़ास तौर पर दिल्ली पहुंचे थे। प्रधानमंत्री मोदी ने जिस तरह से खुद नीतीश की अगवानी की और उनका परिचय जो बाइडेन से कराया, उससे नीतीश कुमार खुश भी नज़र आए। एक और ख़ास बात ये रही कि बिहार के जिस नालंदा विश्वविद्यालय की दुनिया में ऐतिहासिक पहचान रही है, उसकी तस्वीरें जी-20 बैठक के दौरान बैकग्राउंड में दिखाई गईं, उसके स्वर्णिम इतिहास के बारे में विदेशी मेहमानों को जानकारी दी गई, जिससे देश के साथ-साथ बिहार की पहचान भी देश की सीमाओं से बाहर बनी।

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वैसे तो ये तस्वीर एक औपचारिक मुलाकात की तस्वीर भर है, लेकिन मोदी और नीतीश के जो बनते-बिगड़ते सियासी रिश्ते रहे हैं, उसे देखते हुए इस आम तस्वीर को भी ख़ास माना जा रहा है। ये साल 2012 की बात है, तब मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। उस वक्त 2014 लोकसभा चुनाव को लेकर माहौल बनने लगा था और बदलाव की दस्तक साफ सुनाई देने लगी थी। ये दस्तक ना सिर्फ कांग्रेस की सत्ता बदलने की, बल्कि बीजेपी में अंदरुनी सत्ता हस्तांतरण की भी थी, जिसमें बीजेपी के दिग्गज लालकृष्ण आडवाणी को नरेन्द्र मोदी से कड़ी टक्कर मिल रही थी। एसआईटी से गुजरात दंगों में नरेन्द्र मोदी को क्लीन चिट मिली थी और वो आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों की बैठक में दिल्ली आए थे। इस बैठक में नीतीश कुमार दूसरे मुख्यमंत्रियों से तो हाथ मिलाते दिखे, लेकिन नरेन्द्र मोदी के अपने ठीक सामने से गुज़रने के बावजूद उन्होंने न हाथ मिलाया, न हाथ बढ़ाया।

नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ मिलकर ही बिहार में लालू प्रसाद यादव-राबड़ी देवी की 15 साल पुरानी राजद सरकार बदली थी। एनडीए में बीजेपी के सबसे मज़बूत और भरोसेमंद घटकों में शिवसेना, अकाली दल और जदयू ही थे। अटल-आडवाणी के साथ नीतीश कुमार के रिश्ते हमेशा अच्छे रहे, लेकिन ये रिश्ता नरेन्द्र मोदी के बीजेपी में सबसे मज़बूत नेता बन कर उभरने के साथ ही टूटने लगा। रिश्ता इस हद तक बिगड़ गए कि नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ डिनर पार्टी तक रद्द कर दी। 2014 के लोकसभा चुनाव में बिहार में एनडीए और राजद के खिलाफ नीतीश ने चुनाव लड़ा, लेकिन जदयू को भारी नुकसान हुआ और 38 सीटों पर मैदान में होने के बावजूद सिर्फ 2 सीटें हाथ आईं। 2015 विधानसभा चुनाव में तो मोदी और नीतीश के रिश्ते इतने तल्ख हो चुके थे कि बिहारी बनाम बाहरी से शुरू होकर नीतीश के डीएनए तक केंद्रीय मुद्दे बने और जदयू-राजद गठबंधन ने बीजेपी को महज 53 सीटों पर समेट दिया।

2014 और 2015 के चुनाव नतीजों ने नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार, दोनों को ही ये सबक दिया कि केंद्रीय राजनीति में जहां मोदी के सामने नीतीश की नहीं चलने वाली, वहीं बिहार की राजनीति में नीतीश ही बड़े भाई हैं। इस ज़मीनी सच्चाई ने दोनों के रिश्तों में सुधार लाने की भूमिका निभाई और नीतीश ने जनादेश राजद के साथ लाने के बावजूद उसको छोड़कर बीजेपी के साथ सरकार बना ली। 2020 का चुनाव एक बार फिर मोदी-नीतीश के नाम पर एनडीए ने लड़ा और कांटे के मुक़ाबले में जीत कर सरकार बनाई। जब ऐसा लग रहा था कि अब मोदी और नीतीश दोनों साथ ही रहेंगे, तब एक बार फिर से रिश्तों में अलगाव आया और नीतीश ने अचानक राजद के साथ हाथ मिलाकर रातों-रात सत्ता परिवर्तन कर दिया। ये घटनाक्रम महाराष्ट्र के बाद हुआ था और इसे लेकर लंबी बहस चली कि क्या बीजेपी बिहार में नीतीश सरकार गिराना चाहती थी, जिसे देखते हुए नीतीश ने ये कदम उठाया?

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अब 2024 के आम चुनाव को लेकर मोर्चाबंदी चल रही है और नीतीश कुमार विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के कद्दावर नेताओं में शुमार हैं। नीतीश की पहल पर ही इस गठबंधन की पहली बैठक पटना में ही हुई थी। हालांकि संयोजक बनने के लिए नीतीश तैयार नहीं हुए, लेकिन बीजेपी के ख़िलाफ़ उनकी बयानबाज़ी जारी रही। दूसरी ओर, अमित शाह खुलेआम ये ऐलान कर चुके हैं कि अब कभी नीतीश कुमार से समझौता नहीं होगा।

यही वो राजनीतिक घटनाक्रम है, जिसके बीच नरेन्द्र मोदी और नीतीश कुमार की ये तस्वीर और गर्मजोशी के साथ मुलाकात की ख़बर आई है। ज़ाहिर है कि इसे लेकर चर्चा तो गरमाएगी ही, क्योंकि कभी नीतीश के खासमखास रहे और साथ ही मोदी से लेकर नीतीश तक के चुनाव प्रबंधन की सफल भूमिका निभाने वाले प्रशांत किशोर भी कह रहे हैं कि बिहार में अगले चुनाव में मौजूदा समीकरण टूटने वाले हैं। प्रशांत किशोर यानी पीके का ये बयान क्या ख्याली पुलाव है या फिर वाकई एक बार फिर कुछ उलट-पुलट होने के संकेत हैं, हो सकता है कि ज़ल्दी ही इस बारे में खुलासे हों। फिलहाल तो ये स्थिति है कि जिस तरह 2014 में नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनने के सपने देख रहे थे, वो सपने उन्हें लेकर 2024 के लिए भी बुने जा रहे हैं।

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