#NindakNiyre: छत्तीसगढ़ में अब निकाय चुनाव में बहुआयामी आरक्षण, जनता ही चुनेगी और जनता ही हटाएगी यानि रिकॉल ही रास्ता |

#NindakNiyre: छत्तीसगढ़ में अब निकाय चुनाव में बहुआयामी आरक्षण, जनता ही चुनेगी और जनता ही हटाएगी यानि रिकॉल ही रास्ता

Edited By :  
Modified Date: December 19, 2024 / 08:04 PM IST
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Published Date: December 19, 2024 8:04 pm IST

बरुण सखाजी

छत्तीसगढ़ नगरपालिका संशोधन विधेयक-2024

इससे जुड़े कुछ बिंदु ध्यान रखें, बोल्ड वाले नए और रोचक, रोमांचक हैं

1. सीधे निर्वाचन का प्रावधान वापस किया गया है।

2. 5 वर्ष में चुनाव न हो पाने की स्थिति के दौरान प्रशासक बिठाने की प्रक्रिया को स्पष्ट और अधिकृत किया गया है।

3. सीधे निर्वाचन के कारण पार्षद अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए 3 चौथाई बहुमत के जरिए एक लंबी, सुदीर्घ और जटिल प्रक्रिया से ही किसी निर्वाचित को हटा सकते हैं, सामान्य बहुमत से नहीं।

4. हर 3 महीने में मतदाता सूची अपडेट हुआ करेंगी। पहली सूची 1 जनवरी को, दूसरी 1 अप्रैल को, तीसरी 1 जुलाई को और आखिरी 1 अक्टूबर को

5. मतदाता सूची में मूल आधार विधानसभा की मतदाता सूची होगी।

6. आरक्षण को बहुआयामी बनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक।

7. ओबीसी को इस बहुआयामी होने के कारण न्यूतम 25 फीसद से लेकर 40 फीसद तक आरक्षण मिल सकेगा।

8. पहली बार रिकॉल शब्द का इस्तेमाल हुआ है, यानि किसी को हटाना है तो एक तिहाई पार्षद निगम में अधिकारी को बताएंगे, फिर वह निर्वाचन कराकर 50 फीसद आम लोग हटाने के पक्ष में होंगे तो ही अध्यक्ष या मेयर हट सकेगा।

9. मेयर बनने की न्यूनतम आयु 25 वर्ष को बहाल किया गया है, चूंकि अभी पार्षद के लिए 21 वर्ष आयु है, अप्रत्यक्ष प्रणाली से पार्षद बनते ही वह मेयर का पात्र हो जाता है। इसलिए अब यह प्रत्यक्ष प्रणाली होते ही रिस्टोर हो गया।

10. दोहरे चुनाव लड़ने वाले को जीतने पर किसी एक पद से 7 दिन के भीतर इस्तीफा देना होगा।

11. एक बार अध्यक्ष या मेयर को वापस बुलाने की प्रक्रिया हुई तो यह अगले 2 साल नहीं हो सकेगी, यानि 5 सालों में एक बार ही अविश्वास प्रस्ताव आ सकता है। यह प्रक्रियागत कठिनाई के कारण न कि कानूनी तौर पर।

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कांग्रेस का पक्ष, सदन से वॉकआउट

1. महाजन वर्सस एमपी स्टेट का जिक्र करके 5 वर्ष के भीतर चुनाव आवश्यक है इसलिए विधेयक ही असंवैधानिक है। यह लाया ही नहीं जा सकता।

2. संविधान के अनुच्छेद 73 और 74 में इसका जिक्र है।

3. 1991 में महाराष्ट्र वर्सस वसु केस में भी यही गाइडलाइन है।

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