बरुण सखाजी
“हूं तो इन्हें कौन पकड़कर लाया है” परलोक में इंसाफ के देवता परलोकपति ने गुस्से से भौंहें ऊपर करके कहा।
“महाराज ये…”
हाथ जोड़कर सामने खड़े दूत प्रमुख ने दूसरे दूत की ओर उंगली दिखाते हुए बोला।
“महाराज, मैं तो प्रताड़ना अधिकारी से प्राप्त डाटा के अनुसार ही लाया हूं… मेरा इसमें कोई दोष नहीं।” दूसरे दूत ने कहा।
महाराज ने भयानक क्रुद्ध मुद्रा बनाकर दूसरे दूत की ओर देखा। दूत डर गया था। अपनी सफाई इससे अधिक नहीं दे पाया। अब महाराज की क्रुद्ध नजरों का सामना करते हुए उसके पैर थर-थर कांपने लगे। मगर महाराज के सामने खड़ा एक शख्स और लड़की शख्स बिलकुल निश्चिंत खड़े हैं। पुरुष शख्स मुस्कुराता है। पीछे से पब्लिक चिल्लाती है… मारो… मारो।
महाराज बैकफुट पर दिखते हैं, लेकिन उनके दूतों पर वह भयानक क्रोध बरकरार रखते हैं। अपना गदा कंधे पर रखते हुए कहा, “तुम निकम्मे दूतों की वजह से आज पब्लिक मेरे ऊपर चढ़ रही है। क्या जरूरत थी इन्हें लाने की। मरने देते वहीं।”
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लड़की शख्स और पुरुष शख्स फिर मुस्कुराते हैं। महाराज की हालत पतली है। वे तुरंत बड़े महाराज कार्यालय को सूचित करते हैं। बड़े महाराज कार्यालय से अतिरिक्त इंतजाम का आश्वासन मिलता है। महाराज तब तक अपना गदा कंधे पर रखकर पब्लिक का मुकाबला करने के लिए हल्का रौब अधिक भय की मुद्रा में घूमने लगते हैं। शेष सभी दूत उन्हें सुरक्षा कवर इस तरह से देते हुए बल्लम लेकर खड़े हैं जैसे पब्लिक टूट पड़े तो महाराज को अकेला छोड़कर आसानी से पीछे की ओर भागा जा सके। यह बात महाराज भी जानते हैं। इसलिए वे अतिरिक्त सतर्कता के साथ घूम रहे हैं। ऐसी स्थिति में वे भी दूतों के साथ भागेंगे। स्थिति यह घंटों रहती है, तब तक बड़े महाराज कार्यालय से इंतजाम पहुंचता है। इंतजाम से कुछ शख्स निकलते हैं और पब्लिक की ओर मृत्यु रस फेंकने लगते हैं। चंद सेकेंड्स में मृत्यु रस के प्रभाव से पब्लिक के लोग बेहोश होकर गिर जाते हैं। बड़े महाराज कार्यालय से आए एक अधिकारी ने महाराज की सिंहासन के सामने की सीट ग्रहण की और कहा…
“बड़े महाराज कार्यालय ने पूछा है आखिर यह बवाल किसके कारण हुआ।”
यह सुनते ही दूसरा दूत जो लड़की शख्स और लड़का शख्स को लाया था वह डर गया। गले से थूक सटकाते हुए घबराई मुद्रा में सेंगोल टाइप का डंडा लिए खड़ा रहा। इस डंडे में नंदी के स्थान पर बकरा बना था। इसलिए इसे सेंगोल की बजाए बकरडंड कहना चाहिए। बकरडंड और लोगों के हाथ में भी था, लेकिन यह शख्स बकरडंड से कोई सुरक्षा महसूस नहीं कर रहा था। क्योंकि महाराज ने उसे बुरी तरह से गुस्से में देखा था। बड़े महाराज कार्यालय से आए अधिकारी ने कहा… “महाराज मैं आपके दूत का नहीं पूछ रहा। मैं तो जानना चाहता हूं वह कौन लोग हैं जिन्हें लेकर नर्क आई तमाम पब्लिक नारेबाजी कर रही है और आपकी दूत पुलिस उन्हें संभाल नहीं पा रही।”
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महाराज ने थोड़ा शांति का अनुभव किया। उन्होंने अपनी निगाहें पृथ्वी से लाए गए लड़की शख्स और लड़का शख्स की ओर फेरी। उनके ऐसा करते ही बगल में खड़ा कर्मपोथी इनचार्ज एक छोटे से टैब टाइप के यंत्र को आगे बढ़ाते हुए सेकंड के एक छोटे से हिस्से में कर्म-वीडियो प्ले कर देता है। यहां की व्यवस्था में 100 वर्ष का जीवन-वीडियो महज एक सेकंड के सौवें हिस्से में देखा जा सकता है। यहां के लोग मनुष्यों से एक करोड़ गुना अधिक उन्नत हैं। बड़े महाराज कार्यालय से आए अधिकारी ने पृथ्वी से लाए गए पुरुष शख्स और लड़की शख्स के जीवन-वीडियो देखकर ही तय कर लिया इन पर आरोप क्या हैं और ये किस स्तर के लोग हैं। वह ऐसे अरबों-खरबों लोगों से अब तक मिलता, देखता रहा है, लेकिन माथे पर कभी तनाव नहीं आया। किंतु यहां पहली बार महाराज और बड़े महाराज कार्यालय के इस अफसर के माथे पर पसीने की बूंदें थी। इधर सिंहासन के सामने दरबार के सेंट्रल पोर्च पर हाथों को छाती से बांधे हुए दोनों ही शख्स पुरुष शख्स और लड़की शख्स बेफिक्र खड़े थे। उनके माथे पर कोई अफसोस नहीं था।
इसी बीच पब्लिक के ऊपर फेंका गया मृत्यु रस बेअसर होने लगा। पब्लिक उठने लगी। फिर वही हालात बनने को थे। बड़े महाराज कार्यालय से आया अफसर फिर कुछ इशारा करता है और पब्लिक पर मृत्यु रस की फॉगिंग कर दी जाती है। अब महाराज बड़े महाराज कार्यालय से आए अफसर को बताते हैं।
“सर, जो दोनों खड़े हैं ये भारत के न्यूज चैनलों के एंकर रहे हैं।”…बड़े महाराज कार्यालय से आए अफसर ने बीच में ही बात काटते हुए कहा… “वो तो इनकी मूर्खतापूर्ण मुस्कान से ही लग रहा है। इतना ओवर कॉन्फिडेंस इन्हीं में हो सकता है।”
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महाराज हल्के हुए और स्माइल देते हुए बोले.. “हां तो सर इन लोगों ने पृथ्वी पर भयानक खबरें दिखाई, भयानक अंदाज में दिखाईं। कोई समुद्र में डूबकर हमारे तूफानों की रिपोर्टिंग करता था, कोई कोरोना में पीपीई किट पहनकर स्टूडियो से एंकरिंग करता था। कोई इसरो साइंटिस्ट बनकर स्टूडियो में नाचता था। (लड़की शख्स की ओर इसारा करते हुए।) ये जो छुछूंदर तो स्टूडियो में छाता लेकर बैठ गई थी। पीछे विजुअल चलाकर छाता उड़ाने का नाटक कर रही थी। और ये पुरुष शख्स छोटे बच्चे को भांग देकर नशे की गिरफ्त में बचपन स्टोरी बना रहा था। क्या-क्या गिनाऊं इनका। अब ये जो पब्लिक है वह इनका विरोध कर रही है। पब्लिक कह रही है इन लोगों ने इतना पकाया है कि मरकर भी चैन नहीं मिल सका। पृथ्वी पर तो इनका हम कुछ नहीं कर पाए लेकिन अब हम डरेंगे नहीं, क्योंकि मर चुके हैं अब तो क्या डलना, सोच लिया है छोड़ेंगे नहीं। बस यही मैटर है सर। अब समस्या ये है कि पब्लिक को भी अपन कब तक मृत्यु रस से बेहोश रख पाएंगे। वह जब उठेगी तभी इनकी धुनाई पर आमादा रहेगी। मुझे भी समझ नहीं आ रहा इनका क्या किया जाए। जो कर्मपोथी है उसके हिसाब से इनके पाप इतने भयानक हैं कि हमारे यहां दंड ही नहीं बचा कोई। खतरनाक से खतरनाक दंड भी इनके कर्मों पर फिट नहीं बैठ रहा। प्रताड़ना शाखा ने कुछ खतरनाक दंड़ों का एक महादंड़, कॉम्बो दंड, मिक्स-मैच दंड बनाकर देखा, मगर वह फिट नहीं बैठ पा रहा। आप बड़े महाराज कार्यालय से कहिए ब्रह्म संसद में नया कानून लाएं और उसमें दंड विधान नए सिरे से तय करें। तब तक इन सबको पृथ्वी पर ही रहने दें सर। प्लीज। प्लीज।”
महाराज ने लगभग गिड़गिड़ाते हुए कहा।