Nindak Niyre: छत्तीसगढ़ जीतना है तो इन 10 बातों पर Focus करें सियासी पार्टियां

Nindak Niyre: छत्तीसगढ़ जीतना है तो राजनीतिक दलों को जपना होगा यह दसाक्षरी मंत्र, प्रदेश का चप्पा-चप्पा, जन-जन की बातें हो सकती हैं कवर्ड

2018 में भाजपा हर क्षेत्र में पिछड़ी थी। इसीलिए वह 2023 को की कोई भी तैयारी छोड़ना नहीं चाहती। छत्तीसगढ़ जीतना है तो किसी भी राजनीतिक दल को इस दसाक्षरी मंत्र को अपनाना होगा।

Edited By :   Modified Date:  November 29, 2022 / 08:48 PM IST, Published Date : October 20, 2022/2:40 pm IST

Barun Sakhajee

Barun Sakhajee

बरुण सखाजी. सह-कार्यकारी संपादक

छत्तीसगढ़ की सियासत ने रफ्तार पकड़ ली है। चुनाव से पहले मैदान बनाने की कोशिशें जारी हैं। भाजपा जहां अपनी टीम बनाने में जुटी है तो कांग्रेस टीम बनाए रखने में। 2018 में भाजपा हर क्षेत्र में पिछड़ी थी। इसीलिए वह 2023 को की कोई भी तैयारी छोड़ना नहीं चाहती। छत्तीसगढ़ जीतना है तो किसी भी राजनीतिक दल को इस दसाक्षरी मंत्र को अपनाना होगा।

पहला टी यानि ट्राइबः आदिवासी मुद्दों पर मौखिक मुखरता से ज्यादा जमीनी काम की जरूरत है। छत्तीसगढ़ में दबे-कुचले, शोषित-बुर्जुआ जैसी फेब्रीकेटेड लड़ाइयां नहीं हैं। यहां का आदिवासी समाज सृजनशील है।

दूसरा एफ यानि फॉर्वर्ड फार्मरः यहां बघेल ने कर्जमाफी और धान बोनस से फार्मर को फॉरवर्ड फार्मर में बदल दिया है। फॉरवर्ड फार्मर चाहता है लुढ़ेग का टमाटर वहीं प्रोसेस हो। मुंगेली का गन्ना वहीं शकर बनाए। दुर्ग की सब्जियां वहीं फ्रोजेन स्टोर्ड हों। ओपन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अपारंपरिक कृषि उत्पाद शोकेस कर सकें।

तीसरा एस यानि साहू फैक्टरः छत्तीसगढ़ के मैदानी इलाकों में साहू बाहुल्य गांव हैं। ये भाजपा के कोर वोटर रहे हैं। 2018 में नाराज हो कांग्रेस में गए थे। ये वोटर संस्कृति और परंपराओं के साथ नए छत्तीसगढ़ को पसंद करते हैं।

चौथा के फैक्टरः राज्य में दूसरा किसान वर्ग कुर्मी है। बघेल इसी जाति से आते हैं। यह वोटर आमतौर पर बंटा रहा है, लेकिन 2018 के बाद से बघेल के कारण कांग्रेस से अलाइंड है। इसकी प्राथमिकता अच्छी शिक्षा व राजनीतिक प्रभुत्व है।

पांचवां यू यानि अर्बन फैक्टरः छत्तीसगढ़ की साल 2000 से अब तक बड़ी आबादी अर्बन में बदल गई है। ऐसे में बिलासपुर, रायपुर, दुर्ग, भिलाई, राजनांदगांव, अंबिकापुर, रायगढ़, कोरबा, जगदलपुर ही नहीं बल्कि धमतरी, महासमुंद, जांजगीर जैसे मिडिल सिटी को भी ध्यान में रखकर राजनीतिक दलों को योजना बनानी होगी।

छठवां जे यानी जंगलः राज्य की एक बड़ी आबादी अभी जंगल पर निर्भर है। इन्हें ऐसे कानूनों की आवश्यकता है, जो इन्हें जंगल की गतिविधियों में रोकें नहीं। इनमें सबसे ज्यादा आदिवासी आबादी है।

सातवां पी यानि पीएसयूः छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य है जहां सबसे ज्यादा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम हैं। कारण कौशल हो या शैक्षणिक योग्यता, ज्यादा नौकरियां बाहर के लोगों को हैं। यह मझोले, छोटे गांवों, कस्बों की ऐसी आबादी को प्रभावित करता है जो इन संयंत्रों के आसपास है।

आठवां जी यानि जॉयग्राफीः छत्तीसगढ़ सरगुजा के पहाड़ों से बिलासपुर से रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, महासमुंद, मैदानी इलाकों के बाद फिर से बस्तर की घाटियों की तरफ बंटा है। यहां आजीविकाएं बदलती है और जीवनशैलियां भी। इस लिहाज से इनकी प्राथमिकता अच्छा परिवहन, समुचित शैक्षणिक ढांचे, रोजगार के सहज उपाय, कॉमर्शियल कॉरिडोर हैं।

नवां वाय यानि यूथः छत्तीसगढ़ की आबादी का बड़ा हिस्सा युवा है। यह पढ़ा-लिखा और कुशल है। इसकी जरूरतें अपने निवास क्षेत्र के आसपास योग्यता के अनुसार आजीविका है। आसान सरकारी ढांचा। नए वक्त की अंतरराष्ट्रीय सूचनाएं व सुविधाएं इन्हें चाहिए। अब तक यह वर्ग ठीक ढंग से मोबलाइज नहीं किया जा सका है।

दसवां सी यानी क्राइमः बीते कुछ वर्षों से आपराधिक घटनाएं बढ़ रही हैं। यह मल्टीपल लेयर में अलग-अलग लोगों को अलग-अलग ढंग से प्रभावित कर रही हैं। इनके मसलों पर बहुत गहरी समझ चाहिए, क्योंकि यह मसले हर 20-30 किलोमीटर पर बदल रहे हैं। रायपुर चाकूबाजी से परेशान है, तो बिलासपुर जमीन पर कब्जे से, सरगुजा दबंगई से तो जशपुर छोटी वजहों से हत्या और ह्युमन ट्रैफिकिंग से परेशान है।

अगर कोई राजनीतिक दल इन 10 बिंदुओं पर ठीक से काम करता है और इन पर जमीनी टीम बनाकर शोध व समाज से सीधा संवाद करते हुए चुनाव में जाता है तो निश्चित है वह अच्छी लड़ाई लड़ सकता है। इससे देश का भला ये होगा कि राजनीति खांटी मुद्दों पर केंद्रित होती दिखेगी, बजाए बेवजह के आरोप-प्रत्यारोपों के।