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नजरिया: आधी आबादी किसके साथ ?

नजरिया: आधी आबादी किसके साथ ?

Edited By :   Modified Date:  October 6, 2023 / 04:50 PM IST, Published Date : October 6, 2023/4:44 pm IST

प्रशांत शर्मा
डिप्टी एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर

विधानसभा चुनाव के लिए फाइनल मतदाता सूची का प्रकाशन हो गया है। छत्तीसगढ़ में पुरुषों के मुकाबले महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। यही मतदाता चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगी। सबसे बड़ा सवाल यही कि महिलाएं किस ओर जाएंगी। हाथ का साथ देंगी या कमल का बटन दबाएंगी, या फिर किसी अन्य पार्टी का साथ देंगी।

फाइनल मतदाता सूची

छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव में कुल 2 करोड़ 3 लाख 60 हजार 240 वोटर्स मतदान करेंगे। जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 करोड़ 1 लाख 20 हजार 830 है। वहीं, महिला मतदाता की संख्या 1 करोड़ 2 लाख 39 हजार 410 है। यानी 1 लाख 18 हजार 580 महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है। जेंडर रेसियों की बात करें तो 1 हजार पुरुष मतदाता पर 1 हजार 12 महिलाएं हैं। ये महिला मतदाता किसी भी पार्टी के प्रत्याशी के भाग्य का फैसला करने में सक्षम हैं। प्रदेश के 90 में से 57 विधानसभा क्षेत्र में महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। जबकि सिर्फ 33 विधानसभा क्षेत्र में पुरुष मतदाता की संख्या ज्यादा है। छत्तीसगढ़ में 18 लाख 68 हजार 636 युवा पहली बार मतदान करेंगे। 790 थर्ड जेंडर और 1 लाख 60 हजार 955 दिव्यांग और 1 लाख 86 हजार 215 वरिष्ठ मतदाता भी वोटिंग में हिस्सा लेंगे।

कांग्रेस का क्या प्लान ?

इस वक्त देश में आधी आबादी यानी महिलाओं को लुभाने की कवायद चल रही है। केंद्र सरकार जहां महिला आरक्षण बिल कानून बनाकर महिलाओं को लुभाने की कोशिश कर रही है। वहीं, कांग्रेस और बीजेपी शासित राज्यों में भी महिलाओं के लिए अलग-अलग योजनाएं चलाई जा रही है। कांग्रेस के प्लान की बात करें तो आधी आबादी के लिए गंभीर नजर आती है। हिमाचल प्रदेश हो या फिर कर्नाटक यहां कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में महिलाओं के लिए कई वादे। जिससे इन राज्यों में बीजेपी की हाथ से सत्ता खिसकर कांग्रेस के पास आ गई। अब तो सरकारें महिलाओं के अकाउंट में सीधे रुपये भेजकर उन्हें लुभाने की कोशिश कर रही है। हिमाचल प्रदेश में इंदिरा गांधी महिला सम्मान निधि नाम से महिलाओं के खाते में हर महीने 1500 रुपए ट्रांसफर की जा रही है। वहीं, कर्नाटक में गृह लक्ष्मी योजना शुरू की गई है। जिसके तहत महिलाओं को प्रत्येक महीने 2000 रुपए दिए जा रहे हैं। वहीं, महिलाओं को सरकारी बसों में फ्री में यात्रा करने की छूट दी गई है। आगामी विधानसभा चुनाव के लिए छत्तीसगढ़ की महिलाओं के लिए भी कांग्रेस ऐसा प्लान तैयार कर सकती है। हालांकि सार्वजनिक मंच से इस पर बयानबाजी से सीएम के साथ दूसरे नेता बचते नजर आते हैं। सीएम भूपेश बघेल से जब इस इस संबंध में सवाल किया जाता है तो वो घोषणा पत्र समिति के अध्यक्ष मोहम्मद अकबर के पाले में गेंद डाल देते हैं। निश्चित ही चुनाव में महिलाएं निर्णायक भूमिका अदा करेंगी। लिहाजा राजनीतिक दलों के लिए महिलाओं पर ध्यान केंद्रित करना जरूरी हो गया है।

बीजेपी की क्या रणनीति ?

जैसे ही हम पहले ही बता चुके हैं कि केंद्र सरकार भी महिलाओं को अपने पाले में करने के लिए महिला आरक्षण कानून बना चुकी है। हालांकि तत्काल इसका लाभ महिलाओं को नहीं मिलेगा। लेकिन बीजेपी को इसका फायदा मिलने की पूरी उम्मीद है। वहीं, तीन तलाक कानून पहले ही बन चुका है। इसके अलावा बीजेपी शासित राज्यों में महिलाओं के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही है। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महिलाओं के लिए लाडली बहना योजना शुरू की है। इस योजना में महिलाओं को हर महीने एक हजार रुपए महीने देने से शुरुआत हुई है। इसे मुख्यमंत्री 3 हजार रुपए तक लेकर जाने की बात कही है। फिलहाल महिलाओं को 1250 रुपए महीने मिल रहा है। हर महीने की 10 तारीख को महिलाओं के खाते में लाडली बहना योजना की राशि पहुंच जाती है। इसके अलावा मेधावी युवतियों के लिए स्कूटी योजना, मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण योजना, लाडली लक्ष्मी योजना, नारी सम्मान योजना, मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना, सुकन्या समृद्धि जैसी योजनाएं संचालित हो रही है। ऐसी ही कई योजनाएं यूपी, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा जैसे बीजेपी शासित राज्यों में संचालित हो रही है। लिहाजा इस विधानसभा के लिए तैयार की जा रही बीजेपी की घोषणा पत्र में महिलाओं के लिए मध्यप्रदेश की लाडली लक्ष्मी जैसी योजना को यहां भी सरकार बनने पर लागू करने की घोषणा हो सकती है। जब 15 सालों तक बीजेपी सत्ता रही तो उन्होंने जमीन या मकान की महिलाओं के नाम रजिस्ट्री कराने पर छूट दी। लिहाजा महिलाओं के नाम से रजिस्ट्री का प्रतिशत बढ़ा। साथ ही राशन कार्ड की मुखिया के रूप में महिलाओं का नाम शामिल किया गया। जिससे महिलाओं का आत्मसम्मान बढ़ा।

भारतीय संविधान में महिलाओं को बराबरी का हक दिया गया है। लिहाजा केंद्र और राज्य सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि महिलाओं को बराबरी का हक दिलाएं और महिलाओं के लैंगिक भेदभाव को दूर करें।

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