प्रतिशोध.. प्रतिशोध...और बस प्रतिशोध | Blog By Senior Journalist Saurabh Tiwari

प्रतिशोध.. प्रतिशोध…और बस प्रतिशोध

प्रतिशोध.. प्रतिशोध...और बस प्रतिशोध

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Modified Date: November 29, 2022 / 01:33 AM IST
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Published Date: February 15, 2019 2:40 pm IST

पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद कुछ मोदी विरोधियों की प्रतिक्रिया देखकर लगता है कि ये बस ऐसी ही किसी खबर का इंतजार कर रहे थे। दिखावटी मातमपुर्सी के साथ सरकार को कटघरे में खड़ा करने की खुराफात शुरू हो गई है। पुलवामा की सड़क से शहीद जवानों के जिस्म के टुकड़े उठाए भी नहीं गए कि कुछ नरेंद्र मोदी का 56 इंची सीना मापने के लिए टेप लेकर खड़े हो गए। कुछ तो शर्म करो जाहिलों, ये वक्त सरकार की खामियां निकालने का नहीं बल्कि इस विषम परिस्थिति में उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने का है।

माना कि सुरक्षा में चूक हुई होगी, बाद में सरकार को गरिया लेंगे। माना कि खुफिया तंत्र नाकाम हुआ होगा, बाद में सरकार को घेर लेंगे। माना कि ये रणनीतिक विफलता है, बाद में सरकार को कटघरे में खड़ा कर लेंगे। अभी तो देश की बस एक ही पुकार है, प्रतिशोध…प्रतिशोध…और बस प्रतिशोध।

प्रतिशोध इतना भयंकर हो कि आतंकियों की पुश्तें याद रखे। प्रतिशोध इतना भयावह हो कि उनके आकाओं की रूह कांप उठे। प्रतिशोध इतना दूरगामी हो कि भारत में मौजूद उनके पाकपरस्त पैरोकार पनाह मांगते फिरें। प्रतिशोध इतना निर्णायक हो कि दुश्मन दोबारा ऐसी जुर्रत ना कर सके। देश को चाहिए प्रतिशोध…प्रतिशोध…और बस प्रतिशोध।

हमला मामूली नहीं है, दुश्मन ने सीधे युद्ध के लिए ललकारा है। तो प्रतिशोध भी सारे लिहाज से मुक्त हो। ना कोई मानवाधिकार, ना कोई लोकतांत्रिक लोकलिहाज। ना सरहदी बंधन की चिंता, ना अंजाम की परवाह। सर्जिकल स्ट्राइक की तरह चोरी-छिपे नहीं बल्कि बिल्कुल खुल्लम खुला। हर हाल में चाहिए प्रतिशोध…प्रतिशोध…और बस प्रतिशोध।

अब ना निंदा की शाब्दिक जुगाली चलेगी और ना भर्त्सना की जुमलेबाजी। अब ना कैंडल मार्च से गमगीन राष्ट्र को तसल्ली मिलेगी और ना ही श्रद्धांजलि सभाओं से शहीद जवानों की आत्मा को शांति। शहीद आत्माओं की मुक्ति का बस एक ही उपाय है प्रतिशोध…प्रतिशोध और बस प्रतिशोध।

 

सौरभ तिवारी

असिस्टेंट एडिटर, IBC24