अजयभान सिंह, वरिष्ठ पत्रकार
कांग-कुमार के खुलासे के बाद विदेशी कंपनियों के बीच भारत में जलेबी की फैक्टरी लगाने की होड़ मच गयी है। निवेशकों का ऐसा मेला लगा है कि राज्यों और केंद्र के सिंगल विंडो सिस्टम क्रैश हो गए हैं।
इधर पूरा मुल्क ही जलेबी को लेकर नोस्टाल्जिक् हो गया है। हरियाणा के जिस दुकानदार की जलेबी पर कांग-कुमार रवैल नंदी लट्टू हुए हैं, उसके पास फ्रैंचाइजी और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए 10 लाख अर्ज़ियां अब तक आ चुकी हैं।
इस बीच IIT दिल्ली, मुंबई और रुड़की में इस बात की जांच जारी है कि हरियाणे के दुकानदार के पास ऐसी कौन सी तकनीक है जिससे वह सूखी जलेबी की धमनियों में मीठा रस प्रवाहित कर देता है। शोधकर्ता इस बात की जांच में भी दिन रात एक कर रहे हैं कि हरियाणा की जलेबी अपने निर्माण के कई महीने बाद भी निर्यात योग्य, गर्म, खस्ता, और ताज़ा कैसे बनी रहती है।
इस आपाधापी के बीच वर्कलोड से हांफते कॉमर्स मिनिस्ट्री के हुक्काम का कहना है कि जलेबी सेक्टर में अब तक दस लाख करोड़ रुपये से अधिक के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को लेकर विभिन्न राज्यों के साथ समझौते हो चुके हैं। कांग्रेस शासित राज्य खासतौर से जलेबी को लेकर बृहत तैयारियों में जुट गए हैं। बाजार के विशेषज्ञों का अनुमान है कि सेक्टोरल ग्रोथ के लिहाज़ से भारत का भविष्य मिठास भरा है और जलेबी उद्योग रोजगार और विदेशी निवेश और विदेशी मुद्रा अर्जन के लिहाज से अगले 20 साल तक हमारा ग्रोथ इंजन बना रहेगा।
उद्योग मंत्रालय के अधिकारियों का दावा है कि अगले पांच साल में देश में जलेबी के 100 से अधिक कारखाने लगने की उम्मीद है। एक कारखाने से कम से पचास हज़ार लोगों को सीधा रोजगार मिलेगा। मानो बेरोजगारी की तो वाट ही लगने वाली हैै। उधर, विपक्षी खेमे के तमाम बड़े नेताओं ने इस अविश्वसनीय बौद्धिक कामयाबी के लिए युवराज रवैल नंदी को बधाई दी है।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने आज दिल्ली में संपन्न एक साझा बैठक में प्रस्ताव पारित कर सरकार से मांग करते हुए कहा कि युवराज रवैल नंदी को बाल-बुद्धि कहने के बजाय अब से विवेक-चुडामणि, नीति-विशारद, प्रखर-प्रज्ञा और जलेबी-कुल-उद्धारक जैसी श्रेष्ठ संज्ञाओं से विभूषित किया जाए। बोलिये कांग- कुमार रवैल नंदी की जय।
(आलेख में व्यक्त विचार व संप्रेषण के लिए लेखक निजी तौर पर जिम्मेदार हैं। IBC24 (SBMPL) किसी भी प्रकार से जिम्मेदार नहीं है।)