लोक गायिका शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार बुधवार को राजकीय सम्मान के साथ पटना में किया जाएगा |

लोक गायिका शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार बुधवार को राजकीय सम्मान के साथ पटना में किया जाएगा

लोक गायिका शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार बुधवार को राजकीय सम्मान के साथ पटना में किया जाएगा

:   Modified Date:  November 6, 2024 / 11:05 AM IST, Published Date : November 6, 2024/11:05 am IST

पटना, छह नवंबर (भाषा) बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को कहा कि प्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार बुधवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ पटना में किया जाएगा।

‘बिहार कोकिला’ के नाम से प्रख्यात लोक गायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार रात दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया। वह 72 वर्ष की थीं।

मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुसार, कुमार ने पटना के जिलाधिकारी को सिन्हा के अंतिम संस्कार के लिए आवश्यक व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। उनका पार्थिव शरीर दोपहर तक दिल्ली से यहां लाए जाने की संभावना है।

बिहार की समृद्ध लोक परंपराओं को राज्य की सीमाओं से बाहर भी लोकप्रिय बनाने वालीं शारदा सिन्हा के कुछ प्रमुख गीतों में ‘‘छठी मैया आई ना दुआरिया’’, ‘‘कार्तिक मास इजोरिया’’, ‘‘द्वार छेकाई’’, ‘‘पटना से’’, और ‘‘कोयल बिन’’ शामिल थे। इसके अलावा उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों में भी गाना गया था। इनमें ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर- टू’ के ‘तार बिजली’, ‘हम आपके हैं कौन’ के ‘बाबुल’ जैसे गाने शामिल हैं।

शारदा सिन्हा के छठ पूजा के लिए गाए गीत भी लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। उनका निधन चार दिवसीय छठ महापर्व के पहले दिन हुआ। छठ घाटों पर उनके गाये गीत जरूर बजाये जाते हैं।

सिन्हा एक प्रशिक्षित शास्त्रीय गायिका थीं, जिन्होंने अपने कई गीतों में लोक संगीत का मिश्रण किया। उन्हें अक्सर ‘मिथिला की बेगम अख्तर’ कहा जाता था। वह हर साल छठ पर्व पर एक नया गीत जारी करती थीं। उन्होंने इस साल स्वास्थ्य खराब होने के बावजूद छठ पर्व के लिए एक गीत जारी किया था।

सुपौल में जन्मीं सिन्हा छठ पूजा एवं विवाह जैसे अवसरों पर गाए जाने वाले लोकगीतों के कारण अपने गृह राज्य बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में बेहद लोकप्रिय थीं।

भाषा शफीक मनीषा

मनीषा

 

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