School holidays extended in Bihar
School holidays extended in Bihar: पटना। बिहार के शिक्षा विभाग द्वारा शीत लहर के मद्देनजर कई जिलों में विद्यालयों को बंद करने के फैसले पर सवाल उठाए जाने और भविष्य में ऐसे कदम उठाने से पहले विभाग से अनुमति लिए जाने के आदेश पर पटना जिला प्रशासन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और इसे ‘‘नियमों के विपरीत और अप्रासंगिक’’ बताया है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) के.के. पाठक ने 20 जनवरी को एक पत्र के माध्यम शीत लहर के मद्देनजर जिलाधिकारियों द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत स्कूलों को बंद करने के आदेश पर प्रश्न उठाते हुए कहा था कि ऐसे आदेश वापस लिए जाने चाहिए तथा भविष्य में सरकारी स्कूलों के समय में बदलाव का आदेश देने से पहले शिक्षा विभाग से अनुमति लेनी होगी।
एसीएस द्वारा उक्त पत्र लिखे जाने के बावजूद पटना के जिलाधिकारी (डीएम) चन्द्रशेखर सिंह द्वारा 21 जनवरी को ठंड के कारण आठवीं तक की कक्षाओं को 23 जनवरी तक स्थगित करने के आदेश दिए जाने से नाराज राज्य शिक्षा विभाग के निदेशक (माध्यमिक शिक्षा) कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने जिला शिक्षा अधिकारी (पटना) को एक पत्र लिखकर यह सुनिश्चित करने को कहा कि जिले के सभी स्कूल खुले रहें।निदेशक ने अपने पत्र (दिनांक 22 जनवरी, 2024) में स्पष्ट रूप से कहा कि ‘‘जिलाधिकारी ने आठवीं तक की कक्षाओं को निलंबित करने का आदेश देने से पहले राज्य शिक्षा विभाग से अनुमति नहीं ली थी।’’
निदेशक (माध्यमिक शिक्षा) के पत्र को ‘नियमों के विपरीत’ और ‘अप्रासंगिक’ करार देते हुए, पटना के जिलाधिकारी चन्द्रशेखर सिंह ने विभाग को इसके पत्र के बारे में ‘कानूनी राय लेने’ की सलाह दी। सिंह ने निदेशक (माध्यमिक शिक्षा) का पत्र प्राप्त होने के कुछ घंटों के भीतर सोमवार को अपना जवाब दिया। पटना के जिलाधिकारी ने अपने पत्र में कहा, ‘‘निदेशक माध्यमिक शिक्षा द्वारा लिखा गया पत्र उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। उनका पत्र नियमों के विपरीत और अप्रासंगिक है। यदि आवश्यक हो तो अधिकारी/शिक्षा विभाग इस मामले में कानूनी राय ले सकते हैं।’’
School holidays extended in Bihar: सिंह ने अपने पत्र में कहा, ‘‘23 जनवरी तक आठवीं तक की कक्षाओं को निलंबित करने से संबंधित आदेश, सीआरपीसी की धारा 144 के तहत जिला दंडाधिकारी (पटना) की ‘अदालत’ द्वारा पारित किया गया था। ऐसा आदेश पारित करने से पहले, न तो संबंधित विभाग से अनुमति लेने का कोई प्रावधान है और न ही जिला दंडाधिकारी की अदालत के आदेश को केवल एक पत्र या गैर-न्यायिक आदेश द्वारा बदला जा सकता है। केवल एक सक्षम अदालत ही जिला दंडाधिकारी की अदालत के इस आदेश की समीक्षा कर सकती है।’