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पटना, 26 मार्च (भाषा) बिहार में बुधवार को वक्फ विधेयक के खिलाफ विधानसभा से लेकर सड़कों तक पर प्रदर्शन हुए। राजधानी पटना में विभिन्न राजनीतिक दलों ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के ‘महा धरना’ के प्रति एकजुटता व्यक्त की।
एआईएमपीएलबी ने विधानसभा परिसर से महज एक किलोमीटर की दूरी पर धरना दिया, जिसमें केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार से संसद में पेश वक्फ विधेयक को वापस लेने की मांग की गई और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जैसे “धर्मनिरपेक्ष” नेताओं से विवादास्पद विधेयक के लिए उनके “समर्थन” पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया गया।
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव अपने बीमार पिता और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद के साथ पटना में धरने के लिए निर्धारित स्थल गर्दनीबाग पहुंचे।
तेजस्वी ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि “उनकी रगों में लालू का खून बह रहा है”, जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार करवाकर अयोध्या रथयात्रा को बीच रास्ते में ही रोक दिया था।
राजद नेता ने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक का पुरजोर विरोध करेगी, क्योंकि यह “असंवैधानिक”, “तानाशाही प्रवृत्ति का” और “नागपुरिया” विचारधारा से प्रेरित है।
तेजस्वी का इशारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तरफ था, जिसका मुख्यालय महाराष्ट्र के नागपुर में है।
नीतीश पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए तेजस्वी ने कहा, “कुछ लोग सत्ता के लालच के कारण विधेयक का समर्थन कर रहे हैं…। मुझे गर्व है कि मेरी रगों में लालू जी का खून बह रहा है, जो किडनी प्रत्यारोपण और हृदय की सर्जरी के कारण शरीर बेहद कमजोर होने जाने के बावजूद यहां आए हैं।”
लालू ने खराब सेहत के चलते ‘महा धरना’ को संबोधित नहीं किया।
इससे पहले, विधानसभा में तिरंगा लेकर पहुंचे राजद और वामपंथी विधायकों ने वक्फ विधेयक को लेकर सदन में जमकर हंगामा किया, जिसके चलते कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही मिनटों के भीतर इसे स्थगित करना पड़ा। विपक्षी विधायकों ने विवादास्पद विधेयक की निंदा करने वाले नारे लिखी तख्तियां भी थाम रखी थीं।
वहीं, भाजपा विधायक हरि भूषण ठाकुर बचौल ने दावा किया कि विधेयक वक्फ बोर्ड के “संविधान से इतर” चरित्र पर प्रहार करता है। उन्होंने राजद को तेजस्वी के भविष्य के बारे में चिंता करने की सलाह दी।
ठाकुर ने दावा किया कि राजद की सहयोगी कांग्रेस ने बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार मानने से “इनकार” कर दिया है।
‘महा-धरना’ में भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के सांसद ईटी मोहम्मद बशीर जैसे राज्य के बाहर के नेता भी शामिल हुए।
उत्तर प्रदेश से सांसद चंद्रशेखर ने संवाददाताओं से कहा कि “वक्फ पर हमला करने के बाद मोदी सरकार अब मुसलमानों के बीच ईद किट बांट रही है। यह किसी की आंखें निकालने के बाद उसे चश्मा देने के समान है।” केरल से लोकसभा सदस्य बशीर ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “मैं आईयूएमएल का प्रतिनिधित्व करते हुए केंद्र के वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ पटना में एआईएमपीएलबी के नेतृत्व वाले धरने में शामिल हुआ।”
उन्होंने लिखा, “व्यापक विरोध के बावजूद सरकार इसे आगे बढ़ा रही है। यह अधिकारियों के लिए एक चेतावनी है। मैंने भरोसा दिलाया कि आईयूएमएस इस लड़ाई में हमेशा सबसे आगे रहेगी।”
बिहार में भाकपा (माले) विधायक दल के नेता महबूब आलम ने ‘महा धरना’ में अपने संबोधन में इस विधेयक की तुलना “हिटलर द्वारा अन्य धर्मों के लोगों के बीच लोकप्रियता हासिल करने के लिए यहूदियों को निशाना बनाए जाने” से की।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) की बिहार इकाई के अध्यक्ष एवं विधायक अख्तरुल ईमान ने आरोप लगाया कि “हमें दाढ़ी रखने और टोपी पहनने जैसी प्रथाओं के लिए पहले से ही निशाना बनाया जा रहा है। वक्फ विधेयक इसलिए लाया गया है, ताकि मृतकों को भी न बख्शा जाए और हमारे कब्रिस्तानों पर बुलडोजर चलाए जाएं।”
जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर भी धरना स्थल पर पहुंचे। हालांकि, उन्होंने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करने से परहेज किया।
किशोर लगातार कह रहे हैं कि अगर वक्फ विधेयक पारित होता है, तो इसके लिए नीतीश कुमार भी कसूरवार होंगे, जो जनता दल-यूनाइटेड (जदयू) के अध्यक्ष हैं, जिसके समर्थन के बिना भाजपा केंद्र में सत्ता में नहीं रह सकती।
किशोर ने इस साल के अंत में संभावित बिहार विधानसभा चुनावों में बड़ी संख्या में मुसलमानों को टिकट देने का वादा किया है।
किशोर को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) विवाद पर नीतीश के साथ मतभेदों के चलते पांच साल पहले जदयू से निष्कासित कर दिया गया था।
भाषा पारुल पवनेश
पवनेश
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