पटनाः Order to fire 32 thousand teachers सरकार भले ही भ्रष्ट्राचार को लेकर जीरों टॉलरेंस का दावा करती हो, लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और दिखती है। यहां तक की सरकारी पदों पर होने वाले भर्तियों में बड़ी संख्या में फर्जीवाड़ा किया जाता है और अयोग्य अभ्यर्थी सेलेक्ट हो जाते हैं। फर्जी दस्तावेजों के सहारे शिक्षा विभाग में ही बड़ी संख्या में लोग नौकरी कर रहे हैं। अब ऐसे लोगों पर शिक्षा विभाग शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है। शिक्षा विभाग ने अब इन सभी शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच शुरू कर दी है। विभाग की ओर कार्रवाई की शुरू होने के बाद अब हड़कंप मच गया है।
Order to fire 32 thousand teachers मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रदेश में 32 हजार से अधिक नियोजित यानि संविदा शिक्षक हैं, जो फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी कर रहे हैं। शिक्षा विभाग ने अब इन सभी शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच शुरू कर दी है। विभाग ने निगरानी विभाग को उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और गुजरात के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर सम्बंधित प्रमाण पत्रों की पुष्टि करने का आदेश दिया है।
बता दें कि बिहार में कुल 3.60 लाख नियोजित शिक्षक हैं। इनमें से 2600 शिक्षक पहले ही फर्जी प्रमाण पत्र रखने के मामले में दोषी पाए जा चुके हैं। 1350 शिक्षकों के खिलाफ FIR भी दर्ज की गई है और मामला कोर्ट में चल रहा है। शिक्षा विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौती 18 से 30 साल पुराने प्रमाण पत्रों की जांच करना है। कई रिकॉर्ड मैन्युअल रूप से रखे गए हैं और कई विश्वविद्यालयों में ये रिकॉर्ड क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जिसके कारण जांच में और देरी होने की आशंका है।
इसके अलावा 1400 शिक्षकों के CTET परीक्षा में 60 फीसदी से कम अंक पाने का मामला भी सामने आया है। नियमों के अनुसार, बाहरी राज्यों के उम्मीदवारों को CTET में 60 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करना अनिवार्य है। विभाग के अनुसार, प्रदेश में काम करने वाले अब तक 1.87 लाख शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच की जा चुकी है। अभी भी 37 हजार शिक्षकों ने अपने प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं कराया है, जिससे संदेह और भी गहरा गया है। विभाग का कहना है कि इस मामले में सभी की जांच की होगी।