नवादा, 26 दिसंबर (भाषा) जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में आतंकवादियों से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिक चंदन कुमार के पार्थिव शरीर का उनके पैतृक स्थान बिहार के नवादा जिले के वारिसलीगंज थाना अंतर्गत नारोमुरार गांव में मंगलवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया।
नारोमुरार गांव के निवासियों ने चंदन कुमार को अश्रुपूर्ण विदाई दी। उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए बड़ी संख्या में लोग जुटे थे।
शहीद का पार्थिव शरीर सोमवार रात करीब साढ़े आठ बजे उनके गांव पहुंचा। चंदन के निधन की खबर मिलने के बाद से ही उनके माता-पिता, पत्नी सहित परिवार के अन्य सदस्यों का रो-रो कर बुरा हाल था।
जयंती देवी और मौलेश्वर सिंह के दूसरे बेटे चंदन का 18 माह पहले ही विवाह हुआ था। वह परिवार में कमाने वाले एकमात्र सदस्य थे।
चंदन कुमार का अंतिम संस्कार बीती देर रात करीब दो बजे किया गया। चंदन के छोटे भाई अभिनंदन कुमार ने उन्हें जब मुखाग्नि दी तो हर किसी की आंखों से आंसू छलक पड़े।
इससे पहले चंदन का पार्थिव शरीर विशेष विमान से दोपहर करीब डेढ़ बजे गया अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर पहुंचा, जहां सेना की ओर से उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। हवाईअड्डे पर पुष्पांजलि समारोह के बाद पार्थिव शरीर को सेना के काफिले द्वारा नवादा के नारोमुरार गांव ले जाया गया।
‘भारत माता की जय’, ‘वंदे मातरम’ और ‘शहीद चंदन अमर रहे’ के नारों के बीच जवान का पार्थिव शरीर नारोमुरार गांव में उनके शोकाकुल परिवार के सदस्यों को सौंपा गया।
स्थानीय लोगों के अलावा, आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में लोग बहादुर सैनिक को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए नारोमुरार में एकत्र हुए। राज्य जिला प्रशासन के वरिष्ठ सरकारी अधिकारी भी वहां मौजूद थे।
गया से नवादा के नारोमुरार गांव ले जाते समय काफिला प्रजातंत्र चौक पर रोका गया जहां शाम करीब सात बजे शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए बड़ी संख्या में लोग एकत्र थे।
नवादा से लोकसभा सांसद चंदन सिंह और गोविंदपुर विधानसभा सीट से विधायक मोहम्मद कामरान ने भी शहीद जवान को श्रद्धांजलि दी।
जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में बृहस्पतिवार, 21 दिसंबर को दोपहर तीन बज कर करीब 45 मिनट पर दो सैन्य वाहनों पर, घात लगा कर किए आतंकी हमले में चंदन सहित पांच सैनिकों की जान चली गई और तीन अन्य घायल हो गए।
चंदन 2017 में सेना में शामिल हुए थे। एक महीने पहले ही छुट्टी के बाद वह अपनी यूनिट, 89 सशस्त्र रेजिमेंट ऑफ राष्ट्रीय राइफल्स ( उग्रवाद विरोधी बल ) में लौटे थे।
भाषा सं अनवर मनीषा
मनीषा
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