(फाइल तस्वीर के साथ)
नालंदा (बिहार), 29 सितंबर (भाषा) उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को कहा कि राजनीतिक कारणों से संवैधानिक संस्थाओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की जा रही हैं जो गंभीर चिंता का विषय है।
नालंदा विश्वविद्यालय में एक खुले सत्र में विद्यार्थियों और संकाय सदस्यों को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा कि संवैधानिक संस्थाओं के विरुद्ध कोई भी टिप्पणी भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के खिलाफ है।
उन्होंने कहा, ‘‘ राजनीतिक बढ़त हासिल करने के लिए हमें संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को राजनीतिक चश्में से नहीं देखना चाहिए। संवैधानिक संस्थाएं कुछ राजनीतिक कारणों से आपत्तिजनक टिप्पणियों का सामना कर रही हैं। यह गंभीर चिंता का विषय है। संवैधानिक संस्थानों की गरिमा का सम्मान करना चाहिए।”
उपराष्ट्रपति ने कहा, “मैं लोगों से कहना चाहता हूं कि जब संवैधानिक संस्थाओं की बात आती है तो सबको जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए। संवैधानिक संस्थाओं के विरुद्ध कोई भी टिप्पणी भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के खिलाफ है।”
धनखड़ ने कहा कि एक दशक पहले भारत को विश्व की ‘पांच कमज़ोर’ अर्थव्यवस्थाओं में रखा जाता था लेकिन अब देश दुनिया की ‘पांच बड़ी’ अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है और “यह छोटी उपलब्धि नहीं है।”
उपराष्ट्रपति ने कहा कि नालंदा अपने ज्ञान और शिक्षा के अनूठे ब्रांड की वजह से दुनिया भर में जाना जाता है।
उन्होंने विद्यार्थियों से कहा, “ नालंदा का इतिहास और समृद्ध विरासत इसे दुनिया में पहचान दिलाती है। आपको इस विरासत को उच्चतर स्तर पर ले जाना है। भारत में अब एक ‘ईकोसिस्टम’ उभरा है जो आपको आपकी ऊर्जा, प्रतिभा और क्षमताओं का पूरी तरह से इस्तेमाल करने की इजाजत देता है और आप अपनी आकांक्षाएं और सपने साकार करें।”
उपराष्ट्रपति ने अपनी पत्नी सुदेश धनखड़ के संग विश्वविद्यालय परिसर में एक पौधा भी लगाया। राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, नालंदा के सांसद कौशलेन्द्र कुमार और कुलपति अभय कुमार सिंह ने परिसर पहुंचने पर उनका स्वागत किया।
नालंदा की यात्रा पर आने से पहले धनखड़ ने अपनी पत्नी के साथ गया के विष्णुपद मंदिर में अपने पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष दिलाने के लिए पिंड दान किया।
भाषा
नोमान माधव
माधव
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