पटना, 30 जून (भाषा) पटना के चाणक्य विधि विश्वविद्यालय के कुलपति फैजान मुस्तफा ने रविवार को कहा कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता है लेकिन मुसलमानों तथा ईसाइयों की ऐसी जातियां जिनकी हालत ‘‘हिन्दू दलितों’’ से भी बदतर है, उन्हें भी वही सुविधा और दर्जा मिलना चाहिए जो दूसरे धर्म (हिंदू) के दलितों को मिलता है।
पटना में महान स्वतंत्रता सेनानी अब्दुल कय्यूम अंसारी और शहीद अब्दुल हमीद कि जयंती कि पूर्व संध्या पर आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुस्तफा ने कहा कि ऐसा नहीं किया जाना धार्मिक आधार पर भेदभाव के समान है और इसलिए यह संविधान के खिलाफ है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह सच है कि संविधान के अनुसार धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। लेकिन यह भी सच है कि मुसलमानों और ईसाइयों में भी जाति व्यवस्था है। इनमें से कुछ जातियां हिंदू दलितों से भी बदतर स्थिति में हैं।’’
मुस्तफा ने कहा, ‘‘अगर ऐसी जातियों को दूसरे धर्म के दलितों को मिलने वाली सुविधाओं से वंचित किया जाता है तो यह धर्म के आधार पर भेदभाव होगा। वास्तव में, ऐसी सुविधाओं से इनकार करना संविधान के खिलाफ होगा।’’
यह टिप्पणी बिहार, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे राज्यों में अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों को दिए जाने वाले आरक्षण पर एक गहन बहस की पृष्ठभूमि में आई है।
समारोह में एक पुस्तिका ‘‘बिहार जाति गणना 2022-2023 और पसमांदा एजेंडा’’ का विमोचन भी किया गया, जिसका उद्देश्य नीतीश कुमार सरकार द्वारा किए गए महत्वाकांक्षी जाति सर्वेक्षण के आलोक में निचली जाति के मुसलमानों की स्थिति को उजागर करना है।
इस अवसर राज्यसभा के पूर्व सदस्य और ‘ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज’ के अध्यक्ष अली अनवर ने आरोप लगाया कि बिहार में जाति आधारित गणना होने के बावजूद सियासी दलों द्वारा पसमांदा समाज की हर तरह से उपेक्षा की जा रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘पसमांदा समाज इसे कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। जो इस समाज को नजरअंदाज करेगा उसे अगले विधानसभा चुनाव में सबक सिखाया जायेगा।’’
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) विधायक मोहम्मद इसराइल मंसूरी ने वंचित जातियों के लिए आरक्षण में बढ़ोतरी को रद्द करने के पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर खेद व्यक्त किया।
मंसूरी ने राज्य सरकार से शीघ्र उच्चतम न्यायालय का रुख करने और संशोधित आरक्षण कानूनों की बहाली का भी आग्रह किया जिसके तहत राज्य में वंचित जातियों के लिए आरक्षण 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया था।
भाषा अनवर खारी
खारी
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